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यह तो आप सभी ने सुना होगा बाघ के बारे में कहा जाता है कि वह अपनी सीमा बनाता है, इसमें किसी दूसरे बाघ के आने की अनुमति नहीं होती है। पर अब बाघ कई बार दूसरे बाघ के साथ भी दिखाई दिए हैं, जी हां आपको बता दें कि यह बात कई डिवीजन में सामने आयी है। इससे वन महकमा हैरत में है। वह बाघ के इस व्यवहार को लेकर अध्ययन कराने की बात भी कह रहा है।

 

बताया जा रहा है कि एक बाघिन दो से तीन शावकों को जन्म देती है। यह शावक दो साल तक बाघिन के साथ रहते हैं। इसके बाद नर बाघ दूसरी जगह चला जाता है, जहां वह अपनी सीमा बनाता है। बाघ अपनी सीमा को बताने के लिए पंजों से पेड़ों पर निशान तक बनाता है। अगर कोई दूसरा बाघ आता है, तो आपसी संघर्ष होता है। बाघ केवल ब्रीडिंग सीजन में बाघिन के साथ रहता है। पर कुछ डिवीजन में बाघ एक साथ दिखाई दिए हैं।

 

वहीं,कार्बेट टाइगर रिजर्व से सटे तराई पश्चिम वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश आर्य कहते हैं कि बाघ अकेले रहते थे, एक बाघ की सीमा पचास स्क्वायर किमी तक होती थी, पर उनके डिवीजन में एक जगह पर ही केवल 50 स्क्वायर किमी के एरिया में 10 से अधिक बाघ रिपोर्ट हुए हैं।

 

बता दें कि कैमरा ट्रैप में भी एक साथ कई बाघ दिखाई दिए हैं। एक स्थान पर बाघ के हमले की घटनाएं सामने आयी थी, वहां पर तीन बाघों को रेस्क्यू किया गया जिसके बाद घटनाएं कम हुई। एक साथ कई बाघ होने के मामले के अध्ययन कराने के लिए वन मुख्यालय को पत्र लिखा जाएगा। इससे मानव- वन्यजीव संघर्ष को कम करने आदि के लिए रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।

 

हल्द्वानी वन प्रभाग के डीएफओ कुंदन कुमार कहते हैं कि कैमरा ट्रैप में एक साथ बाघों के फोटो आए हैं, जलाशयों में एक साथ कई बाघ दिखाई दिए हैं। लैंसडोन वन प्रभाग के डीएफओ एनसी पंत कहते हैं कि उनका वन अधिक घना है, तुलनात्मक तौर पर कम बाघ दिखाई देते हैं। पर एक साथ बाघ दिखाई दिए हैं।

 

 

आपको बता दें कि कैमरा ट्रैप के बाद बहुत सारी अनदेखी बात सामने आ रही है। बाघ को पहले अकेला रहने वाला वन्यजीव कहा जाता था, लेकिन अब उनमें आक्रमकता नहीं होती है। साथ-साथ विचरण करते हैं। वे शिकार को बांटते हुए और सहचर्य जीवन बिताते हुए देखे गए। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के वैज्ञानिक बिवास पांडव कहते हैं कि बाघों की संख्या अधिक होने से कोई संबंध नहीं है। जो बाघ दिखाई दे रहे हैं, वह दो ढाई साल के एडल्ट टाइगर हो सकते है जो बाघिन के साथ होंगे।

 

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इसी के साथ राज्य में बाघों की संख्या 560 है। इसमें केवल कार्बेट टाइगर रिजर्व में ही 260 बाघ हैं। उससे सटे तराई पश्चिम वन प्रभाग में बाघों की संख्या 52 और लैंसडोन में 29 बाघ हैं। हल्द्वानी वन प्रभाग में 36 बाघ होने का आकलन किया गया है।

 

 

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