उत्तराखंड के प्रसिद्ध सीमांत गांव माणा के लोगों को अब सर्दियों के मौसम में बिजली के भारी-भरकम बिलों से राहत मिलेगी। हाल ही में विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच ने माणा गांव का दौरा कर वहां के ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। इस दौरान ग्रामीणों ने मंच के अधिकारियों को बताया कि जब शीतकाल आता है यानी ठंड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तब पूरा गांव खाली हो जाता है। माणा भारत का अंतिम गांव है, जो समुद्रतल से बहुत ऊंचाई पर स्थित है, और सर्दियों में वहां रहना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में लोग नीचे के गर्म इलाकों में चले जाते हैं।
ग्रामीणों का कहना था कि गांव पूरी तरह खाली होने के बावजूद हर महीने बिजली के बिल भेजे जाते हैं, जो कि सरासर अन्याय है। लोगों को न तो बिजली की जरूरत होती है और न ही उपयोग किया जाता है, लेकिन फिर भी पूरा बिल और उस पर सरचार्ज यानी जुर्माना भी लगाया जाता है।
इन समस्याओं को सुनने के बाद विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच ने बड़ा फैसला लिया है। मंच ने ऊर्जा निगम को निर्देश दिए हैं कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार माणा गांव को विशेष राहत दी जाए। इसके अंतर्गत अब माणा गांव के उपभोक्ताओं को बिजली बिल में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। इतना ही नहीं, सर्दियों के महीनों यानी शीतकाल में अगर कोई उपभोक्ता बिजली का बिल नहीं भरता है, तो उस पर कोई सरचार्ज (अतिरिक्त शुल्क या जुर्माना) नहीं लिया जाएगा।
इस फैसले से माणा गांव के लोगों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी और उन्हें अब बेवजह का आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। मंच ने यह भी कहा है कि सीमांत गांवों को विशेष सुविधाएं मिलनी चाहिए, ताकि वहां के लोग गांव छोड़ने को मजबूर न हों और पलायन जैसी समस्याएं रोकी जा सकें।
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