उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद अब हर शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी हो गया है। खासतौर पर उन जोड़ों के लिए जिन्होंने साल 2010 के बाद शादी की है। रजिस्ट्रेशन के लिए उन्हें कोई एक प्रमाण देना होता है – जैसे शादी का कार्ड या शपथ पत्र। लेकिन जिनके पास पुराना शादी का कार्ड नहीं है, वे अब नई तारीख में कार्ड छपवाकर रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं।
ऐसा ही मामला है पिथौरागढ़ के प्रदीप तिवारी और उनकी पत्नी दीपिका का। उन्होंने 14 साल पहले शादी की थी और उनकी दो बेटियां हैं – बड़ी बेटी कामाक्षी नौवीं कक्षा में पढ़ती है और छोटी बेटी हिताक्षी आठवीं में। अब उन्हें शादी का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ा, लेकिन उनके पास पुराना कार्ड नहीं था, इसलिए उन्होंने नया कार्ड छपवाया।
पिथौरागढ़ के ही प्रकाश जोशी की शादी भी 2010 में हुई थी। उन्होंने भी कार्ड छपवाकर रजिस्ट्रेशन कराया। अगर कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराता है, तो अब उस पर जुर्माना भी लग सकता है। यही कारण है कि कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर इन दिनों लोग बड़ी संख्या में विवाह पंजीकरण कराने पहुंच रहे हैं।
प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले लोग बताते हैं कि अब रोजाना कई लोग पुराने कार्ड छपवाने आ रहे हैं। चंपावत के योगेश पांडे कहते हैं कि लोग शपथ पत्र की बजाय कार्ड को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि उसमें लिखत-पढ़त का झंझट नहीं होता।
पिथौरागढ़ के सहायक नगर आयुक्त राजदेव जायसी का कहना है कि रजिस्ट्रेशन के लिए कोई एक सबूत जरूरी है – चाहे कार्ड हो या शपथ पत्र। जिनके पास पुराना कार्ड नहीं होता, वे शपथ पत्र का सहारा ले रहे हैं।
कुछ कॉमन सर्विस सेंटर तो लोगों को कार्ड, गवाह और यहां तक कि पंडित भी उपलब्ध करा दे रहे हैं – इसके लिए वे अतिरिक्त पैसा ले रहे हैं।
UCC लागू होने के बाद अब तक एक लाख 33 हजार से ज्यादा लोगों ने विवाह रजिस्ट्रेशन कराया है। हालांकि सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी कम दिख रही है। इस पर ध्यान देते हुए गृह विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि कर्मचारियों को रजिस्ट्रेशन के लिए जागरूक किया जाए। अपर सचिव निवेदिता कुकरेती ने कहा है कि जल्द अच्छे नतीजे सामने आएंगे।