उत्तराखंड सरकार ने सीमांत इलाकों में हवाई सेवाओं को मज़बूत करने के लिए अहम फैसला लिया है। अब चिन्यालीसौड़ (उत्तरकाशी) और गौचर (चमोली) की हवाई पट्टियों का संचालन भारतीय वायुसेना करेगी। वहीं पिथौरागढ़ का नैनी सैनी एयरपोर्ट एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के अधीन होगा। इस हवाई अड्डे के विस्तार पर लगभग 450 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
हेली कनेक्टिविटी पर जोर:
राज्य सरकार आपदा राहत कार्यों और सामरिक जरूरतों को देखते हुए हेली सेवाओं को प्राथमिकता दे रही है। मकसद यह है कि आपातकालीन हालात में तेजी से राहत व बचाव कार्य हो सके और दूरस्थ इलाकों तक हवाई नेटवर्क मजबूत बनाया जा सके।
चिन्यालीसौड़ और गौचर की अहमियत:
चिन्यालीसौड़ एयरस्ट्रिप सामरिक दृष्टि से खास मानी जाती है, क्योंकि यह भारत-चीन सीमा के नज़दीक है। यहां वायुसेना समय-समय पर लड़ाकू और मालवाहक विमानों की लैंडिंग-टेकऑफ का अभ्यास करती रही है। अब इसे औपचारिक रूप से वायुसेना को सौंप दिया जाएगा।
गौचर एयरस्ट्रिप का इतिहास भी महत्वपूर्ण है। 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान यहां से हेलीकॉप्टर सेवाएं संचालित हुई थीं और बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित निकाला गया था। अब इसे भी वायुसेना के हवाले किया जाएगा ताकि सीमांत जिलों में हवाई सेवाएं और मज़बूत की जा सकें।
पिथौरागढ़ एयरपोर्ट का विस्तार:
नैनी सैनी एयरपोर्ट की बढ़ती उड़ानों को देखते हुए अब इसका संचालन AAI करेगा। इसके लिए राज्य सरकार और AAI के बीच समझौता ज्ञापन भी हो चुका है। साथ ही, गुंजी से आदि कैलाश तक हवाई संपर्क बढ़ाने के लिए एक किलोमीटर लंबी नई हवाई पट्टी बनाई जाएगी, जिसमें वायुसेना तकनीकी सहयोग देगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है:
“सीमांत क्षेत्रों में हवाई नेटवर्क को मज़बूत बनाना बेहद जरूरी है। इससे स्थानीय जनता को बेहतर सुविधा मिलेगी और सामरिक दृष्टि से भी राज्य की स्थिति मजबूत होगी। पिथौरागढ़ एयरपोर्ट के विस्तार का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा।”