देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में राज्य के विकास, प्रशासनिक मजबूती और शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े निर्णय लिए गए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री को आगामी उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र की तिथि और स्थान तय करने का अधिकार भी प्रदान किया गया।
मानसून सत्र की तैयारी को मिली मंजूरी
कैबिनेट बैठक में सबसे पहले उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर प्रस्ताव लाया गया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकृति मिली। सरकार ने यह निर्णय लिया कि मानसून सत्र आहूत किया जाएगा और मुख्यमंत्री को यह अधिकार दिया गया कि वे सत्र की तिथि और स्थान का निर्धारण करें। यह निर्णय विधानसभा कार्यों को समयबद्ध रूप से संचालित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल: विशेष शिक्षक सेवा नियमावली को मंजूरी
शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट ने “उत्तराखंड विशेष शिक्षक सेवा नियमावली 2025” को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस नियमावली के तहत प्रदेश में 135 नए विशेष शिक्षकों के पद सृजित किए जाएंगे। इन शिक्षकों की नियुक्ति विशेष आवश्यकता वाले (दिव्यांग) बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए की जाएगी।
इस कदम से ऐसे विद्यार्थियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा सकेगी। यह निर्णय समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने और सभी बच्चों को समान अवसर देने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
पंचायती राज और स्वच्छ भारत मिशन को नई दिशा
कैबिनेट ने पंचायती राज विभाग से जुड़ी एकल मंत्रिमंडलीय समिति की रिपोर्ट को भी प्रस्तुत किया। इसके तहत स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तीसरे चरण के संचालन के लिए पंचायती राज विभाग को अधिकृत किया गया है। इसका उद्देश्य है कि स्वच्छता कार्यक्रम को गांव-गांव तक पहुंचाया जाए और इसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
इस निर्णय से ग्राम पंचायतों को अधिक सशक्त बनाया जाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई तथा स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में मदद मिलेगी।
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हरिद्वार में विकास कार्यों की धीमी रफ्तार पर CDO की सख्ती, अधिकारियों को दी चेतावनी
हरिद्वार। राज्य सरकार की घोषणाओं के अमल में हो रही देरी को लेकर हरिद्वार में प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। बुधवार को विकास भवन सभागार में एक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य विकास अधिकारी (CDO) आकांक्षा कोंडे ने जिले में लंबित घोषणाओं को लेकर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई।
CDO ने जानकारी दी कि जिले में मुख्यमंत्री द्वारा की गई कुल 218 घोषणाएं अब तक अधूरी पड़ी हैं, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति शासन और प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचा रही है, और यदि शीघ्र सुधार नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
किन विभागों पर गिरी गाज?
बैठक में खासतौर पर लोक निर्माण विभाग की लापरवाही सामने आई, जहां 55 घोषणाएं अब भी अधूरी हैं। इसके अतिरिक्त शहरी विकास विभाग में 28 घोषणाओं की प्रगति भी असंतोषजनक पाई गई। सिंचाई, पेयजल, ग्रामीण निर्माण, जल संस्थान, युवा कल्याण और HRDA (हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण) जैसे विभागों के कार्यों की भी गहन समीक्षा की गई।
CDO आकांक्षा कोंडे ने साफ शब्दों में कहा कि प्रत्येक विभाग को तुरंत अपनी कार्य योजना प्रस्तुत करनी होगी और सभी लंबित कार्यों की प्रगति में तेजी लानी होगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर भविष्य में किसी भी घोषणा की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो जवाबदेही तय करते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?
CDO ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी लंबित घोषणाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए एक्शन प्लान तैयार करें और उसकी साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि प्रत्येक महीने प्रगति की समीक्षा होगी और रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाएगी।
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निष्कर्ष:
उत्तराखंड सरकार की यह कैबिनेट बैठक राज्य के सामाजिक, शैक्षणिक और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक ठोस प्रयास मानी जा सकती है। जहां एक ओर विशेष शिक्षकों की नियुक्ति से दिव्यांग विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर शासन की घोषणाओं पर कड़ी निगरानी यह दर्शाती है कि सरकार विकास कार्यों को लेकर गंभीर है। अब यह देखना होगा कि लिए गए ये निर्णय ज़मीनी स्तर पर कितनी
जल्दी और प्रभावी तरीके से लागू होते हैं।