Chamoli :थराली (चमोली)। बीते मंगलवार को चमोली जनपद की थराली तहसील के अंतर्गत रतगांव के ढाढ़रबगड़ क्षेत्र में घटगाड़ गदेरे पर लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माणाधीन बैली ब्रिज अचानक गिर गया। यह पुल लगभग 60 मीटर लंबा था और इसकी अनुमानित लागत करीब 2.80 करोड़ रुपये थी। पुल के गिरने से जहां विभागीय लापरवाही उजागर हुई, वहीं ग्रामीणों में भी भारी रोष देखा गया।
रतगांव और आसपास के क्षेत्र की चार हजार से अधिक की आबादी को जोड़ने वाले इस पुल का निर्माण कार्य लोनिवि की देखरेख में चल रहा था। लेकिन निर्माण प्रक्रिया के दौरान गंभीर तकनीकी चूक सामने आई है। घटनास्थल पर मौजूद सूत्रों के अनुसार, पुल को खड़ा रखने वाले बर्थ (रस्से) और सपोर्ट को ठेकेदार के श्रमिकों ने एक साथ हटा दिया था, जिससे पुल का संतुलन बिगड़ गया और वह सीधे गदेरे में जा गिरा।
गनीमत: बड़ा हादसा टला
पुल गिरने के समय क्षेत्र में कोई बड़ा यातायात या मजदूर गतिविधि नहीं हो रही थी, जिससे किसी प्रकार की जानमाल की क्षति नहीं हुई। यह घटना सुबह के समय हुई जब निर्माण का आंतरिक काम चल रहा था। यदि यह घटना दोपहर या शाम के समय होती, जब आसपास के ग्रामीण या श्रमिक बड़ी संख्या में मौजूद रहते, तो इससे बड़ा हादसा हो सकता था।
विभाग ने लिया एक्शन, ठेकेदार पर दर्ज हुआ मुकदमा
घटना के बाद लोक निर्माण विभाग ने त्वरित एक्शन लिया है। लोनिवि के उच्च अधिकारियों के निर्देश पर अवर अभियंता ने थाना थराली में संबंधित ठेकेदार के खिलाफ तहरीर दी है। थराली थाने के थाना अध्यक्ष पंकज कुमार ने पुष्टि करते हुए बताया कि ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ग्रामीणों में आक्रोश, जल्द निर्माण की मांग
पुल गिरने की खबर फैलते ही स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश उत्पन्न हो गया। ग्राम प्रधान महिपाल फरस्वाण के साथ पृथ्वी सिंह, सुजान सिंह, बलवंत सिंह, प्रदीप फरस्वाण समेत कई स्थानीय लोगों ने घटनास्थल का दौरा किया और मौके का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि यह हादसा साफ तौर पर ठेकेदार और विभाग की लापरवाही का नतीजा है।
स्थानीय जनता का कहना है कि इस पुल के जरिए रतगांव क्षेत्र के लोगों को थराली बाजार, तहसील और अस्पताल जैसे आवश्यक केंद्रों से जोड़ा जाना था। लेकिन अब पुल के गिरने से न केवल समय का नुकसान हुआ है, बल्कि बरसात का समय निकट आने के कारण लोगों की परेशानियां और बढ़ सकती हैं।
बरसात से पहले निर्माण दोबारा शुरू हो – ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से मांग की है कि इस पुल की तकनीकी जांच शीघ्रता से कराई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही उन्होंने अनुरोध किया कि बरसात से पहले इस पुल का निर्माण दोबारा शुरू कर पूरा किया जाए ताकि आवागमन में किसी प्रकार की बाधा न आए।
ग्राम प्रधान महिपाल फरस्वाण ने कहा, “हमने कई बार विभाग से निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने की मांग की थी। लेकिन अफसोस कि आज जो हुआ वो हमारी चिंताओं को सही साबित करता है। हम मांग करते हैं कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और निर्माण कार्य जल्द से जल्द दोबारा शुरू हो।”
लोनिवि की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
यह घटना लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। करोड़ों की लागत से बन रहा पुल अगर निर्माण के दौरान ही गिर जाए, तो इससे साफ होता है कि या तो निर्माण सामग्री की गुणवत्ता में कमी थी या फिर तकनीकी मापदंडों को नज़रअंदाज़ किया गया। इस घटना ने विभाग की निगरानी व्यवस्था और गुणवत्ता नियंत्रण पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
भविष्य में हो सतर्कता और पारदर्शिता
इस प्रकार की घटनाएं न केवल सार्वजनिक धन का अपव्यय हैं, बल्कि आम जनता की ज़रूरतों और सुरक्षा से भी खिलवाड़ हैं। जरूरी है कि ऐसे सभी निर्माण कार्यों की निगरानी पारदर्शी और विशेषज्ञों की निगरानी में हो। ठेकेदारों की नियुक्ति में कड़ाई बरती जाए और निर्माण के हर चरण की तकनीकी समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
निष्कर्ष:
ढाढ़रबगड़ गदेरे पर हुआ यह हादसा केवल एक पुल के गिरने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी विभागों की जिम्मेदारी, गुणवत्ता नियंत्रण, और सार्वजनिक धन की सुरक्षा पर गहरी चोट करता है। उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले में सख्ती से कार्रवाई करेगा और क्षेत्रीय जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए जल्द पुल निर्माण फिर से शुरू किया जाएगा।