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उत्तराखंड के चारधामों में इस वर्ष की यात्रा सुव्यवस्थित और बेहतर प्रबंधन के चलते शांतिपूर्ण तरीके से संचालित हो रही है। यात्रा की सुव्यवस्था से जहां श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिली हैं, वहीं मंदिर समितियों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। खासकर यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं की संख्या के अनुसार आय में संतोषजनक वृद्धि दर्ज की गई है।

 

चारधाम यात्रा, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे चार पवित्र स्थल शामिल हैं, भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में विशेष स्थान रखते हैं। प्रत्येक वर्ष देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इन स्थलों पर दर्शन करने पहुंचते हैं।

 

यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब

 

चारधाम यात्रा के पहले धाम यमुनोत्री में इस वर्ष मई महीने तक लगभग 3.29 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। श्रद्धालुओं ने पवित्र यमुना नदी के तप्त कुंड में स्नान कर मां यमुना की पूजा-अर्चना की।

 

मंदिर समिति के अनुसार, इस अवधि में श्रद्धालुओं से दान पात्र और रसीद बुक के माध्यम से 23 लाख रुपये से अधिक की आय हुई है। मंदिर समिति के अधिकारियों का कहना है कि यात्रा का संचालन इस बार अधिक व्यवस्थित है, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिली है और वे अधिक समय यमुनोत्री में बिता पा रहे हैं। इससे मंदिर समिति की आय में भी सकारात्मक असर पड़ा है।

 

यात्रा का प्रबंधन बेहतर, फिर भी श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट

 

जहां यात्रा का प्रबंधन पहले से अधिक चुस्त-दुरुस्त दिखा, वहीं पिछले वर्ष की तुलना में श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। विश्लेषण में सामने आया है कि 2024 की तुलना में 2025 के पहले महीने में कुल 12% कम तीर्थयात्री पहुंचे हैं।

 

चारधाम और हेमकुंड साहिब को मिलाकर इस वर्ष अब तक 17,17,619 तीर्थयात्री यात्रा पर पहुंचे, जबकि 2024 की इसी अवधि में यह आंकड़ा 19,56,269 था। यानी लगभग 2,38,650 श्रद्धालुओं की कमी दर्ज की गई है।

 

प्रमुख धामों में कितनी रही गिरावट?

 

केदारनाथ:

2025 में अब तक 6,49,161 श्रद्धालु पहुंचे हैं, जबकि 2024 में यह संख्या 7,48,348 थी। इस प्रकार लगभग 13% की गिरावट देखी गई।

 

बदरीनाथ:

इस वर्ष 4,57,409 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि पिछले साल यह संख्या 4,72,065 थी। यहां लगभग 3% की कमी रही।

 

यमुनोत्री:

वर्ष 2025 में 3,02,713 श्रद्धालु पहुंचे, जबकि 2024 में 3,46,545 श्रद्धालु पहुंचे थे। यानी 11% की कमी दर्ज की गई।

 

गंगोत्री:

सबसे अधिक गिरावट गंगोत्री में देखने को मिली। 2025 में अब तक 2,93,228 श्रद्धालु पहुंचे, जबकि पिछले साल यह संख्या 3,39,892 थी। यहां 14% की गिरावट हुई।

 

 

गिरावट के संभावित कारण

 

श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

 

1. मौसम की अनिश्चितता: मई की शुरुआत में मौसम कई बार असामान्य रहा, जिससे यात्रियों ने अपनी यात्रा स्थगित कर दी।

 

 

2. भौगोलिक जटिलताएं: खासकर यमुनोत्री और केदारनाथ जैसे धामों तक पहुंचना भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होता है। कुछ मार्गों पर अभी भी मरम्मत या सुधार कार्य चल रहा है।

 

 

3. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सख्ती: इस बार प्रशासन ने पंजीकरण की प्रक्रिया को और सख्त किया है। इससे बिना पंजीकरण वाले श्रद्धालु यात्रा पर नहीं जा सके।

 

 

4. आर्थिक कारण: बढ़ते यात्रा खर्च और होटल/आवास की कीमतें भी कई श्रद्धालुओं के लिए बाधा बनीं।

 

 

 

भविष्य की संभावनाएं और दिशा

 

हालांकि श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी चिंता का विषय है, लेकिन यात्रा की व्यवस्था, साफ-सफाई, सुरक्षा और मार्गों की सुव्यवस्था को लेकर श्रद्धालु संतुष्ट नजर आए।

 

सरकार और प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु किए गए डिजिटल पंजीकरण, स्वास्थ्य शिविर, ट्रैकिंग सिस्टम और यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयासों की सराहना हो रही है।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यात्रा से पूर्व मौसम और मार्गों की स्थिति की स्पष्ट जानकारी दी जाए, और स्थानीय व्यवसायों को भी सही दिशा में प्रशिक्षण मिले, तो आने वाले महीनों में

श्रद्धालुओं की संख्या में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है।

 

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