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देहरादून में साइबर ठगों ने मर्चेंट नेवी के एक अफसर को अपने जाल में फंसाकर उनसे 32 लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच और सीबीआई का अधिकारी बताते हुए अफसर को धमकाया और उन पर एक फर्जी केस का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट में रखा। अफसर के नाम से एक पार्सल में पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और मादक पदार्थ एमडीएमए होने का दावा कर ठगों ने उन पर गिरफ्तारी का खौफ दिखाया।

कैसे हुआ साइबर अरेस्ट

रोहित (परिवर्तित नाम), जो देहरादून के वसंत विहार इलाके में रहते हैं, मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं। 30 अक्टूबर की दोपहर को उन्हें एक अनजान कॉल आया जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर एक पार्सल पकड़ा गया है जिसमें पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और नशीला पदार्थ एमडीएमए मिला है। इस डर को बढ़ाने के लिए ठगों ने एक फर्जी पुलिस अधिकारी से वीडियो कॉल पर बात कराई जिसने उन्हें गिरफ्तारी का वारंट भी दिखाया। बाद में ठगों ने उन्हें एक और व्यक्ति से जोड़ा जिसने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया और मामले को गंभीरता से लेते हुए रोहित को 24 घंटे में गिरफ्तार करने की धमकी दी।

 

पैसे ट्रांसफर करने का दबाव

ठगों ने अफसर को यह भी कहा कि उनके नाम से 57 लाख रुपये का अवैध लेन-देन हुआ है और उन्हें अपने खाते में मौजूद पूरी रकम जांच के लिए तुरंत ट्रांसफर करनी होगी। इस डर के कारण, अफसर ने अपने खाते से 32,31,798 रुपये ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए। ठगों ने इस बीच उन्हें बार-बार निर्देश दिए कि वे कहीं न जाएं और लगातार कॉल पर बने रहें।

 

अंत में ठगी का एहसास

जब ठगों ने और धनराशि भेजने का दबाव बनाया, तब अफसर को एहसास हुआ कि वे साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं। इसके बाद उन्होंने साइबर क्राइम थाने में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।

 

इस घटना ने एक बार फिर से सावधान किया है कि कैसे साइबर ठग फर्जी पहचान और कानूनी कार्यवाही का डर दिखाकर लोगों को फंसाते हैं। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और नागरिकों को सावधान रहने की सलाह दी है।

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