Dehradun Uttarakhand : उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन को लेकर राज्यभर में सख्त अभियान शुरू किया है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के बाद, प्रशासन ने उन लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है जिन्होंने जमीन का उपयोग तय नियमों के विरुद्ध किया है। अब तक 400 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां भूमि उपयोग में नियमों की अवहेलना हुई है।
राज्य सरकार की इस कड़ी कार्रवाई का मकसद साफ है — भूमि संबंधी कानूनों को सख्ती से लागू करना और भू-माफियाओं या धोखाधड़ी से भूमि खरीदने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाना। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि राज्य में अब भूमि के दुरुपयोग को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अब तक सामने आए आंकड़े
राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक उत्तराखंड में 407 मामले भू-कानून उल्लंघन के सामने आ चुके हैं। इन मामलों में से 154 मामलों में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, जबकि 147 मामलों में कानूनी प्रक्रिया अभी जारी है। बाकी बचे मामलों में भी जांच और कानूनी कार्यवाही तेज़ी से चल रही है।
इन मामलों में मुख्य रूप से ऐसे लोग सामने आए हैं जिन्होंने औद्योगिक इकाई, कृषि, बागवानी या शिक्षा संस्थान खोलने के नाम पर जमीन खरीदी, लेकिन बाद में उसका उपयोग अन्य व्यवसायिक या आवासीय कार्यों के लिए किया। यह भू-कानून की सीधी अनदेखी मानी जा रही है।
कौन-कौन से जिले हैं प्रभावित?
अब तक की जांच में देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा जैसे जिलों में भू-कानून उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं। इनमें से कुछ मामलों में तो स्थिति इतनी गंभीर थी कि राज्य सरकार को भूमि जब्त कर सरकारी स्वामित्व में लेनी पड़ी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 3.006 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार में निहित की जा चुकी है। जिन जिलों में जमीन जब्त की गई है, उनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:
बागेश्वर: 0.40 हेक्टेयर
ऊधमसिंह नगर (रुद्रपुर): 1.65 हेक्टेयर
नैनीताल (सिलटौना): 0.55 हेक्टेयर
अल्मोड़ा: 0.758 हेक्टेयर
यह कदम न केवल राज्य के संसाधनों की रक्षा के लिए आवश्यक था, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति या संस्था भूमि कानूनों का दुरुपयोग न कर सके।
मुख्यमंत्री धामी का कड़ा संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून पर हो रहे दुरुपयोग पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा,
> “जो लोग कानूनों को ताक पर रखकर राज्य की भूमि का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके खिलाफ सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई करेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि कई लोगों ने स्कूल, फार्म हाउस या कृषि के नाम पर भूमि खरीदी और फिर उसका उपयोग मॉल, होटल या निजी आवासीय प्रोजेक्ट्स के लिए किया, जो पूरी तरह अवैध है। इस प्रकार की अनियमितताओं को रोकने के लिए सरकार लगातार निगरानी और छानबीन कर रही है।
भविष्य की योजना और सतर्कता
राज्य सरकार ने भू-अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब भूमि खरीदने और उसका उपयोग करने के नियमों को और अधिक पारदर्शी और सख्त बनाने की योजना बनाई है। जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रत्येक भूमि हस्तांतरण और उपयोग की गहन जांच करें, और कोई भी संदिग्ध गतिविधि नजर में आए तो तुरंत रिपोर्ट करें।
इसके अलावा, राज्य सरकार अब एक डिजिटल भू-रिकॉर्ड प्रणाली को भी मजबूत कर रही है, ताकि किसी भी अनियमितता को तुरंत पहचाना जा सके।
जनता से भी अपील
सरकार ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे भूमि खरीदने से पहले उसके उपयोग और अनुमति की पूरी जानकारी प्राप्त करें। किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए स्थानीय राजस्व विभाग से सत्यापन करवाना अनिवार्य बताया गया है।
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निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई यह कार्रवाई राज्य में पारदर्शी और न्यायसंगत भू-प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस पहल से यह संदेश स्पष्ट हो गया है कि नियमों की अनदेखी करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और कानूनी सख्ती दोनों अब उत्तराखंड की प्रशासनिक प्राथमिकता बन चुकी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस दिशा में और क्या ठोस कदम उठाती है