Dehradun Uttarakhand
देहरादून के विकास को नई रफ्तार देने के लिए एक बड़ी योजना पर काम चल रहा है — रायपुर को जौलीग्रांट एयरपोर्ट से जोड़ने वाली थानो रोड को फोरलेन किया जा रहा है। इस परियोजना से न सिर्फ सफर आसान होगा, बल्कि देहरादून और आसपास के इलाकों में विकास की नई संभावनाएं भी पैदा होंगी। लेकिन इस प्रगति की राह में एक बड़ी चिंता भी सामने आ रही है — हजारों पेड़ों की बलि।
क्यों जरूरी है थानों रोड का चौड़ीकरण?
थानो रोड देहरादून, रायपुर और जौलीग्रांट एयरपोर्ट को जोड़ने वाली एक अहम सड़क है। अभी यह रोड केवल डबल लेन है, जिससे रोजाना हजारों वाहनों को परेशानी होती है। सफर में देरी, ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। खासकर जब कोई बड़ा आयोजन रायपुर के क्रिकेट स्टेडियम में होता है, तो यह मार्ग पूरी तरह जाम हो जाता है।
अब इसे फोरलेन बनाने की योजना है, ताकि आने-जाने में आसानी हो और ट्रैफिक का दबाव कम किया जा सके। इससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों, खिलाड़ियों और एयरपोर्ट जाने वाले यात्रियों को भी फायदा होगा।
जौलीग्रांट से चारों दिशाओं की सड़कों में सुधार
जौलीग्रांट एयरपोर्ट को उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से जोड़ने वाली सभी सड़कों को अपग्रेड किया जा रहा है।
हरिद्वार की ओर जाने वाली सड़क पहले ही फोरलेन बन चुकी है।
देहरादून की दिशा में भी काम पूरा हो चुका है।
ऋषिकेश की ओर एलिवेटेड रोड परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है।
अब सिर्फ रायपुर की ओर वाली सड़क बची थी, जिसे अब फोरलेन किया जा रहा है। इससे एयरपोर्ट तक हर दिशा से तेज और आसान पहुंच हो पाएगी।
पर्यावरण पर संकट: कट सकते हैं 15,000 से ज्यादा पेड़
इस परियोजना की सबसे बड़ी चिंता हरियाली की भारी कीमत है। अनुमान है कि सड़क चौड़ी करने के लिए 15,000 से 20,000 पेड़ काटने पड़ सकते हैं। देहरादून, जो हमेशा से अपने हरे-भरे जंगलों और स्वच्छ हवा के लिए जाना जाता है, ऐसे बदलाव से प्रभावित हो सकता है।
पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग इस फैसले को लेकर चिंतित हैं। जंगल के कटाव से न केवल हरियाली खत्म होगी, बल्कि वन्यजीवों पर भी असर पड़ेगा। यह इलाका हाथियों और अन्य वन्य प्राणियों का भी मार्ग है, जिनकी गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।
विभाग की रणनीति: कटाई कम, हरियाली ज़्यादा
संबंधित विभाग इस विषय को लेकर गंभीर है। कोशिश की जा रही है कि पेड़ों की कटाई कम से कम हो और यदि कटाई ज़रूरी हो, तो उसके बदले बड़े स्तर पर पुनर्वनीकरण (replantation) किया जाए। इसके अलावा सड़क के किनारे नई हरियाली विकसित करने की भी योजना है।
एक विकल्प के तौर पर समानांतर नया पुल बनाने या एलिवेटेड रोड तैयार करने की बातें भी सामने आई हैं, जिससे ज़मीन अधिग्रहण और पेड़ों की कटाई कम की जा सके।
क्या होगा इससे फायदा?
सुरक्षित और तेज़ यात्रा: चौड़ी सड़क से दुर्घटनाएं कम होंगी और समय की बचत होगी।
पर्यटन को बढ़ावा: रायपुर स्टेडियम, एयरपोर्ट और ऋषिकेश जैसे स्थल तक पहुंच आसान होगी, जिससे राज्य में पर्यटन को लाभ मिलेगा।
निवेश की संभावना: बेहतर कनेक्टिविटी से होटल, हॉस्पिटल, शिक्षा और व्यापार क्षेत्रों में विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।
स्थानीय रोजगार: निर्माण कार्य और पर्यटन से जुड़े नए अवसर स्थानीय लोगों को रोजगार दे सकते हैं।
लेकिन ध्यान रखना होगा संतुलन
विकास जरूरी है, लेकिन विकास की कीमत प्रकृति को चुकानी पड़े, तो वो नुकसानदायक हो सकता है। देहरादून जैसे शहर की पहचान ही उसकी प्राकृतिक सुंदरता है। अगर पेड़ ही नहीं रहे, तो वह खूबसूरती भी खो सकती है। यही कारण है कि अब समय आ गया है कि सरकार, विभाग और स्थानीय लोग मिलकर ऐसे रास्ते तलाशें, जिससे विकास और पर्यावरण दोनों का संतुलन बना रहे।
सोच-समझकर बढ़ाया जाए हर कदम
थानो रोड का फोरलेन में बदला जाना उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है, लेकिन इसके साथ ही यह एक ज़िम्मेदारी भी है। विकास के नाम पर हरियाली का नुकसान न हो, इसके लिए हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा। अगर पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए यह परियोजना पूरी होती है
, तो यह देहरादून के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।