देहरादून, उत्तराखंड की राजधानी, अब देश की राजधानी दिल्ली से और अधिक सुगमता से जुड़ने जा रही है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे परियोजना के पूरा होने से जहां दिल्ली से दून तक की दूरी कम होगी, वहीं ट्रैफिक जाम से भी काफी हद तक राहत मिलेगी। यह परियोजना न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक साबित होगी, बल्कि शहर के स्थानीय लोगों के जीवन को भी आसान बनाएगी।
देहरादून शहर में अब तक ट्रैफिक एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। खासकर पर्यटन सीज़न में मसूरी जाने वाले वाहनों की भारी भीड़ से शहर की सड़कों पर जाम लग जाता था। घंटों जाम में फंसे लोग परेशान होते थे। लेकिन अब यह समस्या जल्द ही बीते समय की बात हो सकती है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे और प्रस्तावित एलिवेटेड रोड इस समस्या का स्थायी समाधान साबित हो सकते हैं।
इस एक्सप्रेसवे की एक खास बात यह है कि यह आधुनिक तकनीकों से बनाया जा रहा है, जिससे सफर न केवल तेज़ बल्कि सुरक्षित भी होगा। साथ ही, ओवरलोड ट्रैफिक की समस्या से भी निजात मिलेगी, क्योंकि भारी वाहनों का दबाव अब मुख्य सड़कों से हटकर एक्सप्रेसवे की ओर स्थानांतरित होगा।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के साथ-साथ एक और बड़ी योजना पर काम हो रहा है – एलिवेटेड रोड का निर्माण। यह एलिवेटेड रोड करीब 26 किलोमीटर लंबी होगी और इसकी कुल लागत लगभग 6100 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसका मुख्य उद्देश्य है – दून शहर से मसूरी की ओर जाने वाले ट्रैफिक को बिना शहर के भीतर घुसाए सीधे आगे निकालना। इससे देहरादून शहर के बीचों-बीच जाम की स्थिति में बड़ा सुधार आने की संभावना है।
इस परियोजना के लिए प्रशासन को कई इलाकों में भूमि अधिग्रहण करना होगा। जानकारी के मुताबिक, शहर के 26 मोहल्लों में से ज़मीन अधिग्रहण किया जाएगा और इसमें रिस्पना और बिंदाल नदियों के किनारे बसे 2614 मकानों को हटाया जाएगा। ज़ाहिर है, यह एक बड़ा कदम है और इससे कई परिवार प्रभावित होंगे।
भवन स्वामियों को भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। शासन स्तर पर अभी तक “भूमि के बदले भूमि” की कोई नीति तैयार नहीं की गई है, इसलिए केवल मुआवजे के आधार पर ही काम आगे बढ़ रहा है। जिला प्रशासन ने कहा है कि सभी प्रभावित लोगों को नियमों के अनुसार उचित मुआवजा दिया जाएगा, ताकि वे बिना किसी असुविधा के अपने जीवन को दोबारा व्यवस्थित कर सकें।
प्रशासन द्वारा इस प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रभावित भवन स्वामियों के साथ संवाद स्थापित किया जा रहा है और उनकी चिंताओं को भी सुना जा रहा है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि पुनर्वास की योजना भी साथ में तैयार हो, ताकि प्रभावित परिवारों को केवल मुआवजा नहीं बल्कि नया ठिकाना भी मिले।
यह परियोजना सिर्फ एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि देहरादून शहर के भविष्य की आधारशिला है। इससे न केवल यातायात की समस्या का समाधान होगा, बल्कि शहर में निवेश, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। दिल्ली से देहरादून का सफर कुछ ही घंटों में तय किया जा सकेगा, जो राज्य की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक असर डालेगा।
अंत में यही कहा जा सकता है कि यदि यह परियोजना समय पर और जनहित को ध्यान में रखते हुए पूरी की गई, तो यह उत्तराखंड के लिए विकास की नई रेखा साबित होगी।