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आपदा की स्थिति में बेहतर और त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियां लगातार अपनी तैयारी को मजबूत कर रही हैं। विशेष रूप से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) अब पहले से कहीं अधिक आधुनिक तकनीकों से लैस हो चुका है। ड्रोन, प्रशिक्षित श्वान दस्ते और पर्वतीय बचाव दल जैसे संसाधनों को शामिल कर आपदा से निपटने की रणनीति को और अधिक प्रभावशाली बनाया गया है।

 

तकनीक से बढ़ेगी बचाव कार्यों की रफ्तार

 

एनडीआरएफ ने हाल ही में अपने खोज और बचाव अभियानों में अत्याधुनिक ड्रोन और प्रशिक्षित कुत्तों को शामिल किया है। इन श्वानों को विशेष रूप से मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जिससे राहत एवं बचाव कार्यों में समय की बचत होगी और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

 

डिप्टी कमांडेंट रोहिताश्व मिश्रा के अनुसार, “हमारे पास फिलहाल आठ विशेष प्रशिक्षित श्वान हैं, जिन्हें खोजी अभियानों में शामिल किया गया है। इनकी मदद से हमें मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाने में काफी सहायता मिल रही है। साथ ही ड्रोन की मदद से ऊंचाई वाले इलाकों में निगरानी और लोकेशन ट्रैकिंग पहले से कहीं अधिक आसान हो गई है।”

 

पर्वतीय बचाव दल की तैनाती

 

राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में आए दिन भूस्खलन, बर्फबारी और अचानक आई आपदाओं की घटनाएं होती रहती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए अब विशेष पर्वतीय बचाव दल बनाए गए हैं, जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तुरंत राहत कार्यों के लिए तैयार रहेंगे। इन दलों में उन्हीं कर्मियों को शामिल किया गया है, जिन्होंने एडवांस रेस्क्यू ट्रेनिंग प्राप्त की है और कठिन परिस्थितियों में कार्य करने का अनुभव रखते हैं।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि इन पर्वतीय दलों की तैनाती से उन इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन की गति और दक्षता दोनों में सुधार होगा, जहां सामान्य टीमें तुरंत नहीं पहुंच पातीं।

 

पहली बार डॉक्टरों की तैनाती

 

आपदा के समय अक्सर यह देखने को मिलता था कि घायलों को बचाने के बाद प्राथमिक इलाज में देरी हो जाती थी। इस कमी को दूर करने के लिए अब रेस्क्यू टीमों के साथ डॉक्टरों को भी तैनात किया जा रहा है। यह पहली बार है जब डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ, सीधे आपदा स्थल पर मौजूद रहेंगे।

 

इस पहल का उद्देश्य यह है कि घायल व्यक्तियों को घटना स्थल पर ही प्राथमिक इलाज मिल सके, जिससे गंभीर स्थितियों में जान बचाने की संभावना बढ़ जाए। यह कदम राज्य के आपदा प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।

 

राज्य में बढ़ेगी टीमों की संख्या

 

राज्य में वर्तमान में एनडीआरएफ की 10 टीमें तैनात हैं, लेकिन आने वाले समय में इनकी संख्या बढ़ाकर 13 की जाएगी। इसका मकसद यह है कि राज्य के हर हिस्से में तेजी से मदद पहुंचाई जा सके, चाहे वह मैदानी क्षेत्र हो या दुर्गम पर्वतीय इलाका।

 

एनडीआरएफ की टीमों को संचार, खोज और बचाव के क्षेत्र में उन्नत संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इसके साथ ही उन्हें समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिससे वे किसी भी आपात स्थिति में कुशलता से कार्य कर सकें।

 

भविष्य की तैयारियां

 

राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग का फोकस अब पूर्व-तैयारी और त्वरित प्रतिक्रिया पर है। नई तकनीकों के साथ-साथ मानवीय संसाधनों की भी क्षमता बढ़ाई जा रही है। स्कूल, कॉलेज, ग्राम पंचायत स्तर पर भी आपदा से निपटने के लिए जन-जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि स्थानीय लोग भी छोटी-मोटी आपदाओं में खुद को और अपने आस-पास के लोगों को सुरक्षित रखने में सक्षम बन सकें।

 

इसके अलावा मौसम विभाग के साथ समन्वय कर आपदा की पूर्व चेतावनी देने की प्रणाली को और मजबूत किया जा रहा है। एनडीआरएफ के अलावा राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय प्रशासन को भी आवश्यक उपकरणों से लैस किया जा रहा है।

 

 

 

निष्कर्ष

 

राज्य में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में जो बदलाव हो रहे हैं, वे न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी बेहद अहम हैं। एनडीआरएफ, पर्वतीय बचाव दल, श्वान दस्ते, डॉक्टरों की तैनाती और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों के समावेश से राहत एवं बचाव कार्यों में बड़ी क्रांति आने की संभावना है। यह तैयारी साबित करती है कि राज्य अब आपदाओं के प्रति ज्या

दा सजग, सतर्क और सक्षम हो चुका है।

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