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प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें राज्य में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकतर क्षेत्र वन भूमि है, जो ईको टूरिज्म के लिए बहुत उपयुक्त है। इस क्षेत्र की संभावनाओं को बेहतर ढंग से खोजा जाना चाहिए ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलें और पर्यटक भी प्रकृति का आनंद ले सकें।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ईको टूरिज्म में स्थानीय समुदाय की भागीदारी बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट वॉकिंग, नेचर ट्रेल, पर्वतारोहण और ट्रेकिंग जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। इन गतिविधियों के लिए एक सिंगल विंडो सिस्टम तैयार किया जाए, जिससे देश और विदेश के पर्यटकों को सारी अनुमतियाँ एक ही जगह और एक ही आवेदन के माध्यम से मिल सकें।

उन्होंने सुझाव दिया कि एक वार्षिक कैलेंडर बनाया जाए जिसमें इन सभी ईको टूरिज्म गतिविधियों का संचालन तय समय पर किया जा सके। प्रकृति से बिना छेड़छाड़ किए छोटे-छोटे प्रयासों से पर्यटन को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, वन विभाग को निर्देश दिए गए कि कैंपिंग साइट्स की संख्या भी बढ़ाई जाए।

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि राज्य में चल रही विभिन्न ईको टूरिज्म योजनाओं और गतिविधियों की जानकारी देने के लिए एक एकीकृत वेबसाइट बनाई जाए। इससे पर्यटकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर सारी जानकारी आसानी से मिल सकेगी और वे अपनी यात्रा की बेहतर योजना बना सकेंगे। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि आने वाले समय में पर्यटन से जुड़े लक्ष्यों को बड़ा रखा जाए और योजनाएं इन्हीं लक्ष्यों के अनुसार बनाई जाएं।

इस बैठक में प्रमुख सचिव श्री आर. के. सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक श्री बी. पी. गुप्ता, श्री रंजन मिश्र और मुख्य वन संरक्षक श्री पी.के. पात्रो सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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