देहरादून स्थित सचिवालय सभागार में प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्धन की अध्यक्षता में एक महत्त्वपूर्ण आपदा प्रबंधन समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में राज्य के विभिन्न रेखीय विभागों, संबंधित एजेंसियों तथा जिलों से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य राज्य में आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन से संबंधित योजनाओं और प्रस्तावों की समीक्षा करना तथा आगामी रणनीतियों पर विचार करना था।
बैठक के दौरान जिलों और विभागों द्वारा आपदा जोखिम को कम करने और त्वरित प्रतिक्रिया व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जो प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे, उन पर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्य सचिव ने इन प्रस्तावों की व्यवहारिकता, तत्काल आवश्यकता और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर मूल्यांकन करने का सुझाव दिया।
मुख्य सचिव श्री बर्धन ने सचिव, आपदा प्रबंधन को निर्देश दिए कि जिलों और विभागों को उनके प्रस्तावित कार्यों के अनुरूप आपदा प्रबंधन निधि समय पर और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जाए, ताकि किसी भी तरह की रुकावट कार्यों की गति को प्रभावित न कर सके।
उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि आपदा प्रबंधन से संबंधित किसी भी कार्य में तकनीकी विशेषज्ञों की भूमिका अत्यंत आवश्यक है। इस क्रम में उन्होंने सभी जिलाधिकारियों और विभागों को यह निर्देश दिए कि वे कार्यों की योजना बनाते समय तकनीकी समितियों की सलाह अवश्य लें। इसके साथ ही, जहां भी भौगोलिक या पर्यावरणीय अध्ययन की आवश्यकता महसूस हो, वहां विशेषज्ञ संस्थानों का सहयोग एवं मार्गदर्शन लिया जाए।
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि आपदा प्रबंधन के तहत होने वाले कार्यों में वित्तीय अनुशासन और मितव्ययिता का विशेष ध्यान रखा जाए। अनावश्यक खर्चों से बचते हुए संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से यह अपेक्षा जताई कि वे समयबद्ध ढंग से तैयारी पूर्ण करें, ताकि आपदा की स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
बैठक में राज्य भर में चल रहे आपदा प्रबंधन कार्यक्रमों और योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि विभागों और जिलों के बीच बेहतर समन्वय ही योजनाओं की सफलता की कुंजी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सभी संबंधित एजेंसियां परस्पर तालमेल बनाकर कार्य करें, तो आपदा से निपटने की क्षमताओं में गुणात्मक सुधार किया जा सकता है।
बैठक में उपस्थित अधिकारियों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन आज की आवश्यकता है, न कि केवल एक प्रतिक्रिया तंत्र। इसको एक सतत प्रक्रिया के रूप में अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें योजना, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्वास सभी चरणों को समान प्राथमिकता दी जाए।
इस महत्वपूर्ण बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन श्री विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव श्री विनीत कुमार, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग श्री राजेश शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी वर्चुअल माध्यम से बैठक में सम्मिलित हुए और उन्होंने अपने-अपने जनपदों में चल रहे आपदा प्रबंधन कार्यक्रमों की जानकारी साझा की।
बैठक के अंत में मुख्य सचिव ने सभी उपस्थित अधिकारियों से यह अपेक्षा व्यक्त की कि वे आपदा प्रबंधन को केवल एक औपचारिक प्रक्रिया न मानें, बल्कि इसे जनसुरक्षा से जुड़ा एक संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण कार्य मानकर पूरी गंभीरता से कार्य करें। उन्होंने कहा कि एक सशक्त आपदा प्रबंधन व्यवस्था राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता में एक मजबूत आधार का कार्य करती है।
मुख्य सचिव के नेतृत्व में आयोजित यह बैठक राज्य सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत आपदा प्रबंधन को एक प्राथमिक एजेंडा बनाकर बेहतर तैयारी, योजनाबद्ध क्रियान्वयन और आपसी समन्वय के माध्यम से एक सुरक्षित उत्तराखंड के निर्माण की दिशा में प्रयाउत्तराखंड में आपदा प्रबंधन को लेकर व्यापक समीक्षा, समन्वय और तैयारी पर ज़ोरस किए जा रहे हैं।