उत्तराखंड में आयुष्मान भारत योजना के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। सितारगंज के ए.के.आई. अस्पताल से एक जालसाज ने फर्जी तरीके से 35 हजार रुपये हड़प लिए। आरोपी ने अस्पताल को यह झांसा दिया कि वह उनके लंबित चिकित्सा दावे (क्लेम) को जल्द पास करवा देगा।
कैसे रची गई ठगी की साजिश
अस्पताल प्रबंधन को फोन कर ठग ने खुद को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण से जुड़ा अधिकारी बताया और दावा निपटाने के लिए 10% कमीशन मांगा। उसने प्रतिनिधि को दफ्तर बुलाने की कोशिश की, लेकिन बाद में एक क्यूआर कोड भेजकर तुरंत भुगतान करने का दबाव बनाया। अस्पताल प्रबंधन उसकी बातों में आकर दुर्गेश गुप्ता नाम के खाते में 35 हजार रुपये ट्रांसफर कर बैठा।
शिकायत और सबूत
बाद में ठगी का एहसास होने पर अस्पताल ने ईमेल के जरिए पूरी जानकारी राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को दी। साथ ही रकम ट्रांसफर की रसीद और आरोपी से हुई बातचीत की ऑडियो क्लिप भी सबूत के तौर पर भेजी। जब प्राधिकरण ने आरोपी से संपर्क करना चाहा तो उसका मोबाइल नंबर बंद मिला।
लीक हुई आंतरिक जानकारी पर शक
प्राधिकरण का मानना है कि संभवतः संस्था के अंदर से ही लंबित दावों की जानकारी बाहर पहुंचाई गई, जिसका फायदा उठाकर आरोपी ने धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
प्राधिकरण की प्रतिक्रिया
अपर निदेशक (प्रशासन) निखिल त्यागी ने कहा—
“यह घटना गंभीर अपराध के साथ-साथ प्राधिकरण की साख को भी नुकसान पहुंचाती है। आरोपी और उसके साथियों पर सख्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।”
पुलिस जांच की मांग
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने पुलिस से इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच करने और दोषियों को कानून के तहत कठोर सजा दिलाने की मांग की है।