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उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बीते कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। खासकर धारचूला तहसील के तल्ला दारमा क्षेत्र में स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है, जहां बारिश के कारण न केवल कई मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए हैं, बल्कि एक बड़ा मोटर पुल बह जाने से छह गांवों का मुख्य मार्ग से संपर्क पूरी तरह कट गया है। इससे ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

 

प्राकृतिक आपदा से टूटा संपर्क

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, तल्ला दारमा घाटी में स्थित उमचिया मोटर पुल मंगलवार देर रात आई भारी बारिश के कारण अचानक बह गया। यह पुल स्थानीय लोगों के लिए जीवन रेखा की तरह था, जो अब पूरी तरह टूट चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि रात लगभग 12 बजे से भारी बारिश शुरू हुई, जिससे छिपलाकेदार और तीजम जैसे ऊपरी क्षेत्रों से बहने वाले नाले अचानक उफान पर आ गए।

 

बारिश इतनी तीव्र थी कि नेहल गाड़ नामक नाले में आए जबरदस्त उफान ने पुल को उखाड़कर लगभग 200 मीटर दूर फेंक दिया। कई अन्य पैदल पुल भी पानी के साथ बह गए हैं। इससे इलाके के प्रमुख गांव जैसे उमचिया, दार, बोना, सेला, खिमलिंग और मारछा मुख्य मार्ग से पूरी तरह कट गए हैं।

 

रातभर जागकर लोगों ने बचाई जान

 

हालात की गंभीरता को देखते हुए गांव के लोगों ने आपसी सहयोग और सूझबूझ का परिचय देते हुए रातभर एक-दूसरे को सतर्क किया। लोगों ने मोबाइल और माइकिंग के जरिए एक-दूसरे को सुरक्षित स्थानों की ओर जाने के लिए चेताया। कई ग्रामीण अपने बच्चों और बुजुर्गों को लेकर ऊंचाई वाले इलाकों की तरफ निकल पड़े।

 

धौलीगंगा नदी में जलस्तर वृद्धि

 

क्षेत्र की प्रमुख धौलीगंगा नदी और उसके सहायक नालों में जलस्तर तेजी से बढ़ा है। सोबला, खेत, छिरकिला जैसे नदी किनारे बसे गांवों में खतरे की आशंका को देखते हुए अलर्ट जारी किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षा की तीव्रता इतनी अधिक थी कि ऐसा प्रतीत हुआ मानो बादल फटा हो। मिट्टी और चट्टानों के भारी कटाव के कारण कई जगह जमीन खिसकने लगी, जिससे लोगों में रातभर दहशत का माहौल बना रहा।

 

प्रशासन सतर्क, राहत कार्यों की योजना

 

हालांकि अब तक किसी प्रकार की जनहानि या पशु हानि की कोई सूचना नहीं मिली है, जो राहत की बात कही जा सकती है, लेकिन भारी नुकसान की आशंका को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि कई गांवों से अब भी संपर्क नहीं हो पाया है।

 

टनकपुर-तवाघाट हाईवे और तवाघाट-लिपुलेख मार्ग जैसे मुख्य सड़क मार्गों के साथ-साथ जिले की 21 अन्य सड़कों पर भी यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। यह मार्ग भारत-चीन सीमा की तरफ जाने वाले रणनीतिक महत्व के मार्ग हैं, जिनका बाधित होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से भी चिंता का विषय बन सकता है।

 

खतरे की जद में वतन बाजार और आसपास के क्षेत्र

 

भारी बारिश से बहाव इतना तेज था कि नाले अब वतन बाजार जैसे क्षेत्रों की ओर कटाव करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। यदि बारिश का यही क्रम जारी रहा, तो इन क्षेत्रों को भी बड़ा नुकसान हो सकता है। प्रशासन की टीमें संभावित खतरे को देखते हुए नाले के बहाव की दिशा और कटाव की स्थिति पर करीबी निगरानी बनाए हुए हैं।

 

राहत और बचाव कार्य होंगे तेज

 

प्रशासन की ओर से प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्यों की योजना बनाई जा रही है। SDRF और स्थानीय प्रशासन की टीमें प्रभावित क्षेत्रों की ओर रवाना की गई हैं। संचार माध्यमों और उपग्रह फोन के जरिए उन गांवों से संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है जिनका नेटवर्क से संपर्क टूट चुका है।

 

स्थानीय लोग कर रहे हैं प्रशासन से मदद की अपील

 

ग्रामीणों ने प्रशासन से तेज राहत कार्य, वैकल्पिक मार्गों का निर्माण, आवश्यक सामग्री की आपूर्ति और स्वास्थ्य शिविर लगाए जाने की मांग की है। स्कूल बंद कर दिए गए हैं और खेती-किसानी का कार्य भी पूरी तरह प्रभावित हो गया है।

 

 

 

निष्कर्ष

धारचूला के तल्ला दारमा क्षेत्र समेत उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मुख्य सड़कों और पुलों के टूटने से जहां एक ओर संपर्क बाधित हुआ है, वहीं दूसरी ओर संभावित भूस्खलन और नदियों के जलस्तर में वृद्धि ने खतरे की आशंका और बढ़ा दी है। हालांकि अब तक जनहानि नहीं हुई है, लेकिन आने वाले समय में और अधिक नुकसान की संभावना को देखते हु

ए प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती है।

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