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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 1000 से 2000 सीसी के वाहनों को चलाने के लिए चालक की न्यूनतम आयु 25 साल निर्धारित करने का सुझाव दिया है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी ओवरस्पीडिंग से हो रही सड़क दुर्घटनाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दी।

कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से 16 से 18 साल के युवाओं के लिए 50 सीसी तक के वाहनों को चलाने की अनुमति दी गई है, ठीक वैसे ही 1000 से 2000 सीसी की गाड़ियों के लिए भी एक न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित की जानी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने गढ़वाल क्षेत्र के आईजी ट्रैफिक को 20 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि क्या ओवरस्पीडिंग की पहचान करने के लिए ऐसे सेंसर लगाए जा सकते हैं, जिनसे वाहन चालक के परिजनों और संबंधित थाने को सूचना मिल सके और थाना उस वाहन का चालान कर सके।

इस जनहित याचिका में अधिवक्ता ललित मिगलानी ने तर्क दिया कि 18 से 25 साल के युवा अत्यधिक गति से वाहन चलाते हैं, जिसके कारण आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि आजकल के वाहन कई प्रकार के आधुनिक फीचर्स से लैस होते हैं, जिनकी जानकारी युवाओं को नहीं होती, और यही कारण है कि वे दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। ललित मिगलानी ने यह भी बताया कि पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां के मार्ग संकरे और घुमावदार होते हैं, जो स्पोर्ट मोड में चलाने के लिए उपयुक्त नहीं हैं, खासकर जब युवा शराब पीकर वाहन चला रहे हों।

 

अतः, उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि जैसे 16 से 18 वर्ष के युवाओं के लिए 50 सीसी तक के वाहन चलाने का प्रावधान है, वैसे ही 1000 से 2000 सीसी के बड़े वाहनों को चलाने के लिए 25 साल की आयु निर्धारित की जाए, ताकि ओवरस्पीडिंग से होने वाली दुर्घटनाओं पर काबू पाया जा सके।

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