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उत्तराखंड में कामकाजी महिलाओं और छात्राओं के लिए छात्रावासों के निर्माण का मार्ग साफ हो गया है। सात जिलों में महिला छात्रावासों के लिए जगह तय कर दी गई है, और इसके निर्माण के लिए बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है। यह निर्माण कार्य निर्भया फंड से वित्त पोषित होगा, और तीन साल के भीतर इन छात्रावासों का निर्माण पूरा किया जाएगा।

महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम

महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग ने राज्य में कुल 12 महिला छात्रावास बनाने की योजना बनाई है। इनमें से सात छात्रावासों के लिए स्थल चयन, बजट स्वीकृति और अन्य औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। शेष पांच जिलों में स्थान चयन का कार्य जारी है। इन छात्रावासों में 50 से 150 कमरे होंगे, और इनकी स्थापना के लिए भारत सरकार के निर्भया फंड से धनराशि प्रदान की जाएगी।

कार्यक्रम का उद्देश्य और लाभ

इन छात्रावासों का मुख्य उद्देश्य कामकाजी महिलाओं और दूरदराज से आकर पढ़ाई करने वाली किशोरियों को सुरक्षित और सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराना है। इस योजना के माध्यम से महिलाएं अपनी नौकरी और पढ़ाई पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। इसके अलावा, छात्रावासों में एक कमरे में दो महिलाएं या किशोरियां रहेंगी, और दिव्यांग महिलाओं और किशोरियों को 10 प्रतिशत सीटों पर प्राथमिकता दी जाएगी। बाकी आवंटन पहले आओ, पहले पाओ और आवश्यकता के आधार पर किया जाएगा।

निर्धारित स्थान और बजट का विवरण

इन सात जिलों में महिला छात्रावासों के लिए तय स्थान और बजट निम्नलिखित हैं:

 

| जिला           | स्थान.            | बजट (रुपये में) |

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| रुद्रप्रयाग | भटवाड़ी सैंण, अगस्त्यमुनि | 372.31 लाख |

| पौड़ी गढ़वाल | सिडकुल क्षेत्र, कोटद्वार | 360.05 लाख |

| टिहरी गढ़वाल | सुरसिंगधार, नई टिहरी | 357.03 लाख |

| हरिद्वार | नगर पंचायत, भगवानपुर | 279.05 लाख |

| पिथौरागढ़ | कुमौड़, पिथौरागढ़ | 417.49 लाख |

| चंपावत | सेलाखोला गैर, चंपावत | 390.28 लाख |

| उत्तरकाशी | गोफियारा, बाड़ाहाट | 378.19 लाख |

 

यह पहल राज्य में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ शिक्षा और रोजगार के अवसरों में सुधार लाने में सहायक होगी।

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