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Kotdwar Uttarakhand : उत्तराखंड के गुमखाल क्षेत्र में सोमवार रात एक गंभीर मामला सामने आया जब जंगली मशरूम खाने से सात नेपाली श्रमिकों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। सभी श्रमिक एक होटल निर्माण स्थल पर काम कर रहे थे और उसी स्थान पर एक साथ रुके हुए थे। श्रमिकों ने जंगली मशरूम की सब्जी बनाकर साझा रूप से खाई, जिसके बाद करीब एक घंटे के भीतर उल्टी-दस्त और बेचैनी जैसे लक्षण दिखने लगे।

 

कैसे हुआ हादसा

 

नेपाल के सुरखेत जिले से आए ये श्रमिक पौड़ी गढ़वाल के गुमखाल क्षेत्र में एक होटल के निर्माण कार्य में लगे हैं। सोमवार शाम को काम समाप्त करने के बाद सभी श्रमिक अपने अस्थायी निवास स्थल पर लौटे। इन्हीं में से एक श्रमिक, लाल बहादुर, होटल के पीछे उगे कुछ जंगली मशरूम तोड़कर ले आया। उसने मशरूम को सब्जी के रूप में पकाया और रात के भोजन में सभी ने मिलकर इसे खा लिया।

 

भोजन के करीब एक घंटे बाद ही कई श्रमिकों को पेट दर्द, उल्टी, दस्त और बेचैनी जैसी समस्याएं महसूस होने लगीं। धीरे-धीरे हालत इतनी बिगड़ गई कि श्रमिकों में हड़कंप मच गया। पीड़ितों में से कुछ को सांस लेने में कठिनाई और सिर दर्द की भी शिकायत हुई। हालत बिगड़ती देख बाकी श्रमिक तुरंत उन्हें लेकर नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रिखणीखाल पहुंचे।

 

समय पर मिली मदद

 

सीएचसी में प्राथमिक उपचार के बाद भी जब स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो सभी मरीजों को एंबुलेंस की मदद से मंगलवार तड़के करीब चार बजे बेस अस्पताल कोटद्वार भेजा गया। अस्पताल में दिन भर उपचार चलने के बाद डॉक्टरों ने राहत की सांस ली और बताया कि सभी की हालत अब स्थिर है और वे खतरे से बाहर हैं।

 

जिन श्रमिकों की हालत बिगड़ी

 

बीमार पड़े श्रमिकों की पहचान नेपाल के सुरखेत जिले के अलग-अलग गांवों के निवासियों के रूप में हुई है। इनमें सिम्हाना गांव की ललिता (42), सुमन बहादुर (17), लेखफर्सा गांव के धन बहादुर (53), लाल बहादुर (34), धनराज (42), धरम खत्री (52), और वीरेंद्र (56) शामिल हैं। इन सभी को अस्पताल में निगरानी में रखा गया है, और डॉक्टरों के अनुसार इनकी हालत अब धीरे-धीरे सुधर रही है।

 

जंगली मशरूम का खतरा

 

जानकारों के अनुसार, जंगली मशरूम कई बार बेहद जहरीले होते हैं, और इनकी पहचान करना आम आदमी के लिए मुश्किल होता है। उत्तराखंड के कई पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून के दौरान जंगली मशरूम उगते हैं, जिनमें से कुछ प्रजातियां खाने योग्य होती हैं, लेकिन अधिकतर में विषैले तत्व पाए जाते हैं। यदि इन्हें गलती से भी खा लिया जाए, तो गंभीर फूड पॉयजनिंग या कभी-कभी जानलेवा स्थिति तक बन सकती है।

 

स्थानीय प्रशासन की अपील

 

घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने श्रमिकों से बातचीत की और बाकी मजदूरों को भी सतर्क किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे जंगली मशरूम या किसी भी अज्ञात जड़ी-बूटी का सेवन बिना विशेषज्ञ सलाह के न करें। ग्रामीणों और मजदूरों को भी इस प्रकार की जानकारी दी जा रही है कि किस प्रकार के पौधे या मशरूम से परहेज किया जाना चाहिए।

 

पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले

 

यह कोई पहली बार नहीं है जब जंगली मशरूम के सेवन से इस तरह की समस्या सामने आई हो। उत्तराखंड में हर साल कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां लोग अज्ञानता या गरीबी के कारण जंगल से तोड़े गए जहरीले मशरूम या कंद-मूल खा लेते हैं और उनकी तबीयत बिगड़ जाती है। कई बार समय पर इलाज न मिलने से जान भी चली जाती है।

 

जन-जागरूकता की ज़रूरत

 

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पर्वतीय और ग्रामीण इलाकों में जन-जागरूकता की बेहद ज़रूरत है। श्रमिकों और आम लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि खान-पान को लेकर सतर्कता बरतना क्यों जरूरी है, खासकर जंगलों में उगने वाले अनजान पौधों के संबंध में।

 

निष्कर्ष

 

गुमखाल में हुए इस हादसे में सौभाग्य से किसी की जान नहीं गई, लेकिन यह एक बड़ा सबक है कि सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं को मिलकर लोगों को इस प्रकार के जोखिम से बचने के लिए जागरूक करना होगा। जंगली खाद्य सामग्री का सेवन करते समय केवल स्वाद नहीं, बल्कि

सुरक्षा भी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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