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उत्तराखंड में संभावित युद्ध जैसे हालात में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आज शाम चार बजे एक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की प्रक्रिया का परीक्षण करना और उन्हें आपातकालीन परिस्थितियों के प्रति जागरूक बनाना है।

मॉक ड्रिल की तैयारियां

जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस मॉक ड्रिल की रूपरेखा तय की गई। बैठक में सिविल डिफेंस, पुलिस और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल हुए। सभी तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की गई और ड्रिल को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए रणनीति तैयार की गई।

मॉक ड्रिल शाम चार बजे एयर रेड सायरन बजने के साथ शुरू होगी। यह सायरन युद्धकालीन हमले की चेतावनी का संकेत होगा, जिसके बाद सिविल डिफेंस के स्वयंसेवी शहर के विभिन्न हिस्सों में लोगों को आवासीय और सरकारी भवनों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का अभ्यास करेंगे।

पांच प्रमुख इलाकों में अभ्यास

इस दौरान आराघर चौकी, धारा चौकी, एनआईईपीवीडी, कलेक्ट्रेट और लक्खीबाग पुलिस चौकी समेत पांच प्रमुख इलाकों में यह अभ्यास किया जाएगा। इन सभी स्थानों पर पूर्व में लगे सायरनों की कार्यक्षमता की जांच की जा चुकी है और सभी उपकरण पूरी तरह से सक्रिय पाए गए हैं।

सिस्टम की प्रतिक्रिया क्षमता का मूल्यांकन

इस मॉक ड्रिल में सबसे अहम पहलू ‘रिस्पांस टाइम’ का मूल्यांकन होगा। यह देखा जाएगा कि सायरन बजने के कितनी देर बाद सिविल डिफेंस की टीमें हरकत में आती हैं और कितनी जल्दी वे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा पाती हैं।

लोगों को जागरूक करने का उद्देश्य

ड्रिल के दौरान नागरिकों को भविष्य में संभावित खतरों के प्रति आगाह किया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि एयर रेड की स्थिति में कैसे सतर्क रहना है, किन वस्तुओं को अपने पास रखना है और किनसे परहेज करना है।

पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका

इस अभ्यास को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय पुलिस को भी अलर्ट मोड में रखा गया है। ड्रिल के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था, आपातकालीन सेवाएं और संचार व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि किसी प्रकार की अफरा-तफरी की स्थिति न उत्पन्न हो।

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