उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में स्थित तल्ला दारमा घाटी के ग्राम पंचायत उमचिया में मंगलवार को प्रकृति ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाया। दोपहर के समय अचानक तेज बारिश और डरावनी गड़गड़ाहट के साथ आई बाढ़ जैसी स्थिति ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी। क्षेत्र की प्रमुख जलधारा नेहल गाड़ का जलस्तर कुछ ही घंटों में इस कदर बढ़ गया कि वहाँ बना 36 मीटर लंबा मोटर पुल और एक लकड़ी का पुल पूरी तरह बह गया।
पुल बहने से संपर्क मार्ग टूटा
इस घटना का सबसे बड़ा प्रभाव क्षेत्र की संपर्क व्यवस्था पर पड़ा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGYSY) के तहत 2.13 करोड़ रुपये की लागत से बना 47 टन वजनी मोटर पुल जो सोबला को उमचिया से जोड़ता था, नेहल गाड़ की उफनती धारा में समा गया। साथ ही लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित तीजम और वतन तोक को जोड़ने वाला लकड़ी का पुल भी पानी के तेज बहाव में बह गया।
इन दोनों पुलों के बहने से पूरे इलाके में आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। ग्रामीणों के अनुसार अब न वाहन आ-जा सकते हैं, न ही ज़रूरी सामान पहुँचाया जा सकता है।
50 से अधिक परिवारों ने रातभर स्कूल और पोस्ट में बिताई
हालात इतने भयावह थे कि गाँव के 50 से अधिक परिवारों को अपने घर छोड़ने पड़े। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल बिष्ट और लक्ष्मी ग्वाल ने बताया कि जब नेहल गाड़ का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जाने लगा, तो लोगों ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए ऊँचाई पर स्थित स्कूल भवनों और गोरखा रेजिमेंट की पोस्ट में शरण ली।
लोगों ने बताया कि रातभर वे सो नहीं सके और बारिश की हर बूँद उनके दिल में डर भर रही थी। छोटे बच्चों और बुजुर्गों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन ज़िंदगी बचाने के लिए लोगों ने एकजुट होकर संयम और साहस का परिचय दिया।
भूस्खलन से मकानों पर संकट
बारिश के साथ-साथ कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएँ भी सामने आई हैं। बिष्ट कॉलोनी में भारी भूस्खलन से कम से कम आठ मकान खतरे की जद में आ गए हैं। ग्रामीणों को डर है कि यदि बारिश इसी तरह जारी रही, तो ये मकान कभी भी ज़मींदोज़ हो सकते हैं। लोग अपने घरों से ज़रूरी सामान निकालकर सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं।
बिजली व्यवस्था भी हुई ध्वस्त
तेज बारिश और बाढ़ के चलते बिजली की आपूर्ति पूरी तरह बाधित हो गई है। पानी के बहाव में दो बिजली के खंभे बह गए, जिससे पूरा क्षेत्र अंधेरे में डूब गया। मोबाइल नेटवर्क और अन्य आवश्यक सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि न तो वे किसी से संपर्क कर पा रहे हैं और न ही उनके पास मोबाइल चार्ज करने की व्यवस्था बची है।
प्रशासन मौके पर, सर्वे जारी
घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम जितेंद्र वर्मा ने स्थिति की पुष्टि की और बताया कि राजस्व विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया है। सर्वे टीम नुकसान का विस्तृत आकलन कर रही है। उन्होंने बताया कि लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है और ज़रूरतमंदों के लिए राहत शिविर बनाए जाने की योजना पर काम हो रहा है।
बादल फटने की जताई जा रही आशंका
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, जिस तरह अचानक बारिश शुरू हुई और जलधारा का बहाव तेज़ हुआ, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि ऊपरी क्षेत्र में बादल फटने की घटना हुई हो सकती है। हालाँकि, मौसम विभाग की ओर से अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में छोटे स्तर के बादल फटने की घटनाएं अक्सर स्थानीय स्तर पर भारी नुकसान पहुंचाती हैं, लेकिन उनके संकेत मौसम प्रणाली में बड़े स्तर पर नहीं दिखते।
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निष्कर्ष
उमचिया गाँव की यह आपदा एक बार फिर यह याद दिलाती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाएं कितनी घातक हो सकती हैं। बाढ़, भूस्खलन और मौसम के अचानक बदलते मिज़ाज के चलते ग्रामीण जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाता है। प्रशासन की ओर से राहत और पुनर्निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू किए जाने की उम्मीद है, लेकिन लोगों की ज़िंदगी सामान्य होने में अभी वक़्त लगेगा।