उत्तराखंड में खेलों के क्षेत्र में एक नया युग शुरू होने जा रहा है। राज्य सरकार खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और उन्हें विश्वस्तरीय मंच प्रदान करने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है। आगामी 29 अगस्त, जो कि राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है, उत्तराखंड के खेल परिदृश्य में एक ऐतिहासिक दिन बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस दिन राज्य को खेल क्षेत्र में दो बड़ी सौगातें देने जा रहे हैं।
हल्द्वानी में बनेगा उत्तराखंड का पहला खेल विश्वविद्यालय
प्रदेश सरकार के अनुसार, हल्द्वानी में बनने वाले खेल विश्वविद्यालय की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य युवाओं को खेलों के शैक्षणिक और व्यावसायिक दोनों ही पहलुओं में दक्ष बनाना है। यह न केवल खेल प्रशिक्षण का केंद्र बनेगा, बल्कि खेल विज्ञान, प्रबंधन, फिजिकल एजुकेशन और कोचिंग जैसे क्षेत्रों में भी डिग्री और डिप्लोमा कोर्स प्रदान करेगा।
यह संस्थान युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खोलेगा और साथ ही राज्य के खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करेगा। सरकार का मानना है कि इस विश्वविद्यालय के माध्यम से उत्तराखंड से ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी निकल सकेंगे।
राज्य के आठ शहरों में खुलेंगी 23 आधुनिक खेल अकादमियां
खेल विश्वविद्यालय के साथ-साथ प्रदेश सरकार ने 23 खेल अकादमियों की स्थापना की योजना पर भी काम शुरू कर दिया है। ये अकादमियां उन शहरों में स्थापित की जाएंगी, जहां 38वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान खेल ढांचा तैयार किया गया था। इसमें देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी समेत आठ प्रमुख शहर शामिल हैं।
इन अकादमियों से दोहरा लाभ होगा—पहला, राष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार की गई आधुनिक सुविधाओं का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होगा; और दूसरा, राज्य के उभरते खिलाड़ियों को पेशेवर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिलेगा। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के खिलाड़ियों को समान अवसर मिलेंगे और प्रतिभाओं को निखारने का एक स्थायी मंच मिलेगा।
राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन, मिला गौरवपूर्ण स्थान
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में राज्य ने खेलों के क्षेत्र में कई नई ऊंचाइयों को छुआ है। हाल ही में संपन्न हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने अपने दमदार प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। खिलाड़ियों ने 100 से अधिक पदक जीतकर राज्य को देशभर में सातवां स्थान दिलाया। यह उपलब्धि राज्य के रजत जयंती वर्ष को और भी खास बना देती है।
इस प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि अगर खिलाड़ियों को उचित सुविधाएं, कोचिंग और सहयोग मिले, तो वे किसी भी मंच पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।
नई खेल नीति: खिलाड़ियों को मिल रहा सम्मान और अवसर
राज्य सरकार ने खेलों को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में एक नई खेल नीति लागू की है। इस नीति के तहत:
ओलंपिक पदक विजेताओं को 1 से 2 करोड़ रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था की गई है।
प्रोत्साहन राशि को दोगुना कर दिया गया है ताकि खिलाड़ियों का मनोबल और भी ऊंचा हो।
खेल छात्रवृत्तियों का दायरा बढ़ाया गया है, जिससे प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षा और खेल दोनों में संतुलन बनाए रखने में सहायता मिल रही है।
इस नीति का मकसद सिर्फ मौजूदा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी खेलों के प्रति प्रेरित करना है।
खेल भूमि बनता उत्तराखंड
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि “उत्तराखंड को अब खेल भूमि के रूप में जाना जा रहा है, जो राज्य के लिए गर्व की बात है।” उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में खेलों के प्रति सकारात्मक वातावरण बन रहा है। युवा खिलाड़ी जोश और समर्पण के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं, और सरकार लगातार खिलाड़ियों के हित में बड़े निर्णय ले रही है।
सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड से ओलंपिक स्तर तक के खिलाड़ी निकलें और राज्य की पहचान सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता से नहीं, बल्कि खेल प्रतिभाओं से भी बने।
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निष्कर्ष
उत्तराखंड में खेल विश्वविद्यालय और 23 खेल अकादमियों की शुरुआत न केवल खिलाड़ियों के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक प्रेरणादायक कदम है। इससे स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार खेलों को केवल एक गतिविधि नहीं, बल्कि करियर और गौरव का साधन मान रही है। आने वाले वर्षों में उत्तराखंड, भारत के खेल नक्शे पर
एक प्रमुख राज्य के रूप में उभरने को तैयार है।