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आठ साल की लंबी खामोशी के बाद एक बार फिर नेशनल हाइवे (एनएच) घोटाले में हलचल तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सक्रियता से इस पुराने लेकिन बेहद गंभीर घोटाले की फाइलें फिर से खुलती नजर आ रही हैं। गुरुवार को ईडी ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख शहरों में एक साथ छापेमारी कर इस प्रकरण को दोबारा चर्चा में ला दिया।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, ईडी ने देहरादून, बरेली, सीतापुर, मुरादाबाद और काशीपुर सहित कई शहरों में तलाशी अभियान चलाया। इन छापों की जद में उत्तराखंड के एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह, हरिद्वार के एक प्रतिष्ठित बिल्डर और काशीपुर के एक वकील समेत कई लोग शामिल हैं।

 

नकदी और दस्तावेज बरामद

 

इस व्यापक छापेमारी के दौरान ईडी को कुल 20 लाख रुपये से अधिक नकदी और कई अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं। इन दस्तावेजों में कुछ ऐसे सुराग हैं, जो घोटाले की परतों को खोल सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि नकदी मुख्यतः हरिद्वार और मुरादाबाद से जब्त की गई है, जबकि दस्तावेज अलग-अलग ठिकानों से मिले हैं।

 

दिलचस्प बात यह रही कि देहरादून, बरेली और सीतापुर में पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह के निजी आवासों पर कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली, लेकिन उनके करीबी रिश्तेदारों के ठिकानों से नकदी और दस्तावेज मिलने की पुष्टि हुई है।

 

बिल्डर और वकील भी रडार पर

 

हरिद्वार के एक जाने-माने बिल्डर के घर से भी नकदी के साथ कुछ ऐसे कागजात मिले हैं, जो इस घोटाले से सीधे जुड़े हो सकते हैं। काशीपुर में एक अधिवक्ता के निवास पर भी ईडी की टीम ने छापा मारा और वहां से भी दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस कब्जे में लिए गए।

 

सूत्रों का मानना है कि इन छापों का दायरा धीरे-धीरे बढ़ेगा और आने वाले दिनों में इस घोटाले से जुड़े अन्य अधिकारियों, इंजीनियरों और ठेकेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

 

डीपी सिंह पहले भी रहे हैं जांच के घेरे में

 

उल्लेखनीय है कि पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह पहले भी इस मामले में जांच एजेंसियों की नजर में आ चुके हैं। ईडी ने उनके खिलाफ अब तक सात अभियोजन शिकायतें दर्ज की हैं। हालांकि, इन सभी मामलों में उन्हें अदालत से फिलहाल राहत मिलती रही है। बावजूद इसके, ईडी की ताजा कार्रवाई इस घोटाले को फिर से गंभीरता से जांचने की ओर इशारा करती है।

 

क्या है एनएच घोटाला?

 

एनएच घोटाला उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और मरम्मत कार्यों में हुए कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है। आरोप है कि अधिकारियों, ठेकेदारों और बिल्डरों की मिलीभगत से सड़क निर्माण के नाम पर कई करोड़ रुपये की गड़बड़ियां की गईं। कई मामलों में बिना काम किए ही भुगतान हो गया, और कुछ मामलों में गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य किया गया।

 

इस घोटाले में सरकारी धन की बड़ी लूट, दस्तावेजों में हेरफेर और तकनीकी नियमों की अनदेखी की बात सामने आई थी। हालांकि, समय के साथ यह मामला ठंडा पड़ गया था और कार्रवाई रुकी हुई थी।

 

क्यों है यह कार्रवाई अहम?

 

ईडी की यह ताजा कार्रवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह आठ वर्षों की चुप्पी को तोड़ती है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियां अब पुराने घोटालों को फिर से खोलने के मूड में हैं। यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश भी माना जा रहा है।

 

इसके अलावा, इस जांच से यह भी साबित होता है कि भले ही समय बीत जाए, लेकिन अगर घोटाले से जुड़े सबूत बचे रह जाएं तो दोषियों पर कार्रवाई संभव है। ईडी की प्रारंभिक कार्रवाई में जो दस्तावेज और नकदी मिली है, वह आगे की जांच को दिशा दे सकती है।

 

आगे क्या?

 

फिलहाल ईडी इस पूरे मामले को प्रारंभिक जांच स्तर पर मान रही है। लेकिन एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि अगर दस्तावेजों से पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं, तो जल्द ही अन्य आरोपियों के खिलाफ समन, पूछताछ और अचल संपत्तियों की जब्ती जैसी कार्रवाइयाँ भी की जा सकती हैं।

 

इस तरह, एक लंबे समय से बंद पड़ी एनएच घोटाले की फाइलें फिर से खुलने लगी हैं और इससे जुड़े लोगों की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह कार्रवाई केवल कुछ लोगों तक सीमित रहेगी या फि

र यह एक बड़े नेटवर्क को उजागर करेगी।

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