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उत्तराखंड के चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक स्थित ग्रामीण बचत केंद्र मसौली में एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले ने न केवल सहकारिता विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि क्षेत्र में बचत खातों की पारदर्शिता पर भी चिंता बढ़ा दी है। पुलिस ने इस मामले में दो प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान पूर्व सचिव मोहनलाल और सहकारिता आंकिक अमित सिंह नेगी के रूप में हुई है। दोनों को गोपेश्वर से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

 

गबन की राशि 76 लाख रुपये से अधिक

 

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब सहायक विकास अधिकारी राजन कुमार ने थाना पोखरी में एक लिखित तहरीर दी। इस तहरीर के आधार पर की गई जांच में पता चला कि वर्ष 2017 से 2023 के बीच मोहनलाल और अमित सिंह नेगी ने मिलकर ₹76,48,559 की हेराफेरी की। पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि यह गबन सुनियोजित तरीके से किया गया, जिसमें कई दस्तावेजों को फर्जी तरीके से तैयार किया गया।

 

मृत खाताधारकों के नाम पर धन निकासी

 

जांच के दौरान एक बेहद चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि कई मृत खाताधारकों के नाम पर पैसे निकाले गए। इसके लिए आरोपियों ने जाली दस्तावेज और नकली हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया। इन फर्जी निकासी के जरिए सरकारी और खाताधारकों दोनों को धोखा दिया गया। पुलिस को कई ऐसे फॉर्म मिले हैं जिन पर एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर थे, जिससे साफ हो गया कि बड़े स्तर पर कागजी हेराफेरी की गई है।

 

162 खातों में अनियमितताएं, 110 लोगों ने निकासी से किया इनकार

 

पुलिस द्वारा लगाए गए विशेष जांच कैंप में जब खाताधारकों को बुलाकर बयान दर्ज किए गए, तो 110 लोगों ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने कभी पैसे नहीं निकाले। इससे यह पुष्टि हुई कि उनके नाम पर फर्जी तरीके से निकासी की गई। इसके अलावा, 162 खातों में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है जिनमें से कई में एक ही हस्ताक्षर पाए गए, जबकि नियमों के अनुसार हर खाता अलग हस्ताक्षर और पहचान से जुड़ा होता है।

 

₹1.15 करोड़ की निकासी बिना जमा किए

 

लेखा सहायक द्वारा बैंक से ₹1.15 करोड़ रुपये से अधिक की रकम निकाली गई, लेकिन यह धनराशि ग्रामीण बचत केंद्र के बैंक खाते में जमा नहीं की गई। यह भी घोटाले की एक गंभीर कड़ी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह केवल दो लोगों का काम नहीं, बल्कि इसमें और भी कई लोगों की भूमिका हो सकती है।

 

पूर्व सचिव ने निकाले 12.5 लाख रुपये

 

पूर्व सचिव मोहनलाल ने भी अपनी अधिकृत वित्तीय सीमा से बाहर जाकर ₹12.5 लाख रुपये की अवैध निकासी की। यह राशि उन्होंने बिना किसी स्वीकृति के निकाली, जोकि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। इस प्रकार की निकासी संस्था के लिए अत्यंत घातक साबित हो सकती थी यदि समय रहते इसका खुलासा न हुआ होता।

 

समिति पर 26 लाख रुपये की देनदारी

 

ग्रामीण बचत केंद्र की समिति पर वर्तमान में 800 खातों में ₹26 लाख रुपये से अधिक की देनदारी है। इन खातों में बचतकर्ताओं ने पैसा जमा कर रखा है, लेकिन निकासी या वापसी के समय उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। समिति की यह वित्तीय स्थिति घोटाले के कारण और भी कमजोर हो गई है।

 

आगे की कार्रवाई और विस्तृत जांच जारी

 

पुलिस अब अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि घोटाले में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी जिम्मेदारी तय की जानी बाकी है। सहकारिता विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों से भी पूछताछ की जा सकती है। साथ ही, विभागीय कार्रवाई और जवाबदेही तय करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने की संभावना है।

 

स्थानीय जनता में आक्रोश

 

इस खुलासे के बाद स्थानीय लोगों में भारी रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने वर्षों की मेहनत की कमाई बचत केंद्र में सुरक्षित रखने के लिए जमा की थी, लेकिन अब उनकी पूंजी खतरे में है। उन्होंने आरोपियों को कड़ी सजा देने और उनकी संपत्तियों को जब्त कर नुकसान की भरपाई करने की मांग की है।

 

निष्कर्ष

 

मसौली के ग्रामीण बचत केंद्र में हुआ यह घोटाला उत्तराखंड के सहकारिता तंत्र की कमजोरियों और पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। जब सरकारी योजनाएं और बचत व्यवस्थाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने लगें, तो आम जनता का विश्वास डगमगाने लगता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच में और कौन-कौन चेहरे सामने आते हैं और क्या पीड़ित खाता

धारकों को उनका पैसा वापस मिल पाएगा?

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