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उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू करने की मांग राज्य गठन के बाद से ही समय-समय पर उठती रही है। इन बढ़ती मांगों को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आगामी विधानसभा बजट सत्र में एक ठोस भू-कानून लाने का संकेत दिया है। इसी दिशा में 13 नवंबर को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में एक अहम बैठक आयोजित की जा रही है। मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक को भू-कानून के मसौदे पर मंथन के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

 

हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून की मांग

प्रदेश में जमीनों के अवैध कब्जों और दुरुपयोग की बढ़ती घटनाओं के कारण राज्य आंदोलनकारियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सख्त भू-कानून लागू करने की मांग कई बार उठाई है। धामी सरकार भी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। सरकार की योजना है कि प्रदेश में भू-कानून के नियमों को ताक पर रखकर खरीदी गई जमीनों को राज्य के अधीन किया जाए और इसके लिए कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है।

 

पूर्व वरिष्ठ नौकरशाहों से मार्गदर्शन, महत्वपूर्ण अधिकारी बैठक में होंगे शामिल

भू-कानून पर चर्चा और सुझाव के लिए राज्य सरकार कई पूर्व वरिष्ठ नौकरशाहों का मार्गदर्शन ले रही है। इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे, सुभाष कुमार, पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी और पूर्व सचिव एसएस रावत शामिल होंगे। बैठक का आयोजन दोपहर करीब 12:30 बजे होगा और इसमें विभिन्न कानूनी व प्रशासनिक पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।

 

जन भावनाओं और राज्यहित पर धामी सरकार का ध्यान

धामी सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस भू-कानून का निर्णय पूरी तरह से जन भावनाओं, जनहित और राज्यहित को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। सरकार का यह कदम राज्य में अवैध भूमि कब्जों पर अंकुश लगाने और भूमि के सही उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा संकेत है।

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