6 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-चीन सीमा पर स्थित हर्षिल और मुखबा का दौरा करेंगे, और इस दौरे के दौरान वह उत्तरकाशी की पारंपरिक वेषभूषा में नजर आएंगे। खासतौर पर, पीएम मोदी के लिए तैयार की गई इस विशेष वेषभूषा में ऊन की बनी भेंडी, पजामा और पहाड़ी टोपी शामिल हैं, जो स्थानीय संस्कृति को दर्शाती है।
पीएम मोदी की वेषभूषा पर हमेशा लोगों का ध्यान रहता है, खासकर जब वह देश-विदेश के दौरे पर जाते हैं। वह अपने दौरे के दौरान उस क्षेत्र की पारंपरिक पोशाक पहनकर वहां के लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। अब आगामी 6 मार्च को जब पीएम मोदी हर्षिल और मुखबा क्षेत्र का दौरा करेंगे, तो वह स्थानीय परिधान में नजर आएंगे, जिसमें ऊन की बनी भेंडी, पजामा और पहाड़ी टोपी शामिल हैं।
यह खास पहाड़ी परिधान वीरपुर डुंडा नालंदा एसएचजी महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य भागीरथी नेगी ने तैयार किया है। इस परिधान को तैयार करने में सुरेंद्र नैथानी ने सिलाई का काम किया। भागीरथी ने बताया कि पीएम मोदी के लिए बादामी और स्लेटी रंग की दो भेंडी कोट तैयार की गई हैं, साथ ही सफेद रंग के दो पजामे भी बनाए गए हैं। टोपी भी भेंडी के रंग के अनुरूप तैयार की गई है, जिसमें तिरंगे के केसरी, हरे और सफेद रंग की पट्टी के साथ लाल रंग की प्रतीकात्मक पट्टी और ब्रह्मकमल का डिजाइन है।
यह परिधान खास तरीके से तैयार किया गया है, जिसमें भेड़ की ऊन का उपयोग किया गया है, और यह पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से तैयार किया गया है, बिना किसी केमिकल का उपयोग किए। इसकी ऊन को इस तरह से तैयार किया गया है कि पहनने में कोई चुभन न हो। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह पारंपरिक परिधान केवल दस दिनों के भीतर तैयार किया गया है।
भागीरथी नेगी किन्नौरी समुदाय से हैं और भेड़ की ऊन से कपड़े तैयार करने का यह उनका पुश्तैनी काम है। वे लंबे समय से महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने बताया कि इस प्रकार के परिधान के जरिए हर्षिल और मुखबा क्षेत्र की पारंपरिक भेंडी और ऊन के कपड़ों की ब्रांडिंग में मदद मिल सकती है।
इस परिधान के माध्यम से न केवल पीएम मोदी के दौरे का महत्व बढ़ेगा, बल्कि यह उत्तरकाशी की पारंपरिक कला और हस्तशिल्प को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का एक बेहतरीन अवसर बनेगा।