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Rishikesh — उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर में बुधवार को एक अहम प्रशासनिक कार्रवाई देखने को मिली, जब जिला प्रशासन ने भारत साधु समाज से जुड़ी 34 दुकानों को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की। यह कार्रवाई उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में की गई। इन दुकानों को लेकर पिछले कई वर्षों से विवाद चल रहा था और अंततः न्यायालयों ने समाज की याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

 

वर्षों पुराना विवाद

 

भारत साधु समाज द्वारा संचालित यह दुकानें ऋषिकेश के एक प्रमुख इलाके में स्थित थीं। प्रशासन का दावा है कि यह ज़मीन सरकारी संपत्ति है और इन दुकानों का उपयोग अनधिकृत रूप से किया जा रहा था। इस मामले को लेकर भारत साधु समाज ने पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें इन दुकानों पर उनके अधिकार को मान्यता देने की मांग की गई थी। हालांकि, अदालत ने इन दावों को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि इन दुकानों को खाली कराया जाए।

 

जब उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली तो भारत साधु समाज ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी lower court के आदेश को बरकरार रखते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया। इसके साथ ही प्रशासन को साफ निर्देश दिया गया कि वह न्यायिक आदेशों का पालन सुनिश्चित करे।

 

कार्रवाई का दिन

 

बुधवार सुबह से ही प्रशासनिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई थीं। जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, पुलिस बल और पीएसी की मदद से दुकानों को खाली कराना शुरू किया। कार्रवाई के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। मौके पर एसडीएम, तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।

 

कुछ दुकानदारों ने शुरू में विरोध करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस और प्रशासन की सख्ती के कारण किसी प्रकार की हिंसा या टकराव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। प्रशासन का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया न्यायालय के आदेशों के तहत, पूरी पारदर्शिता और विधिक प्रक्रिया के अनुसार की जा रही है।

 

प्रशासन की ओर से बयान

 

कार्रवाई के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह कदम किसी विशेष समूह या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि न्यायिक आदेशों के पालन में उठाया गया है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि बार-बार नोटिस देने और समय देने के बावजूद दुकानों को स्वेच्छा से खाली नहीं किया गया, जिससे मजबूरन प्रशासन को सख्त कदम उठाने पड़े।

 

स्थानीय प्रतिक्रिया

 

स्थानीय लोगों और व्यापारियों में इस कार्रवाई को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों का मानना है कि यह जमीन सरकारी है और उस पर अतिक्रमण किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। वहीं, कुछ लोग इस बात से दुखी हैं कि वर्षों से यहां कारोबार कर रहे लोग अब अचानक बेघर हो गए हैं।

 

भारत साधु समाज की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो समाज इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार कर रहा है।

 

ऋषिकेश की यह घटना बताती है कि जब किसी मामले में न्यायिक आदेश पारित हो जाए, तो उसका पालन हर हाल में किया जाना चाहिए। चाहे मामला कितना ही संवेदनशील क्यों न हो, कानून के दायरे में रहते हुए ही समाधान संभव है। प्रशासन ने इस मामले में संयम और सख्ती दोनों का परिचय दिया है, जिससे यह कार्रवाई शांतिपूर्ण रूप से पूरी की जा सकी।

 

प्रशासन की इस कार्रवाई को जहां एक ओर कानून व्यवस्था की दृढ़ता के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे प्रभावित दुकानदारों के पुनर्वास को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। आगे देखना होगा कि प्रशासन इस दिशा में क्या कदम उठाता है और क्या भारत साधु समाज इस पर कोई नया कानू

नी रास्ता अपनाता है या नहीं।

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