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ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारियों, जैसे कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एक नई कार्ययोजना तैयार की है। इस योजना के तहत, एम्स का टेलीमेडिसिन विभाग ड्रोन के माध्यम से गंदगी वाले क्षेत्रों में दवाइयों का छिड़काव करेगा। यह कार्ययोजना विशेष रूप से उन स्थानों पर लागू होगी जहां मच्छरों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है और जहां इन बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है।

 

एम्स की ड्रोन सेवा के तहत, ड्रोन विजुअल लाइन ऑफ साइट (VLOS) तकनीक का उपयोग करेंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवाइयों का छिड़काव सही स्थान पर किया जा सके। इससे मच्छरों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी, और रोगों की रोकथाम संभव हो सकेगी। इस तकनीक का उपयोग पहले से ही दूरस्थ क्षेत्रों में दवाइयां भेजने और ब्लड सैंपल लाने में किया जा रहा है।

 

2023 में शुरू हुई थी एम्स की ड्रोन सेवा

 

एम्स की ड्रोन सेवा का वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, और यह सेवा फरवरी 2024 से नियमित रूप से चालू हुई। अब तक, इस सेवा के तहत 162 से अधिक उड़ानें की जा चुकी हैं। इन उड़ानों के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों से ब्लड सैंपल एम्स भेजे गए हैं, और वहीं, टीबी और अन्य बीमारियों की दवाइयां भी इन क्षेत्रों में भेजी गई हैं।

 

ड्रोन सेवा से रूटीन ओपीडी को जोड़ने की योजना

 

एम्स अब अपनी ड्रोन सेवा को दूरस्थ अस्पतालों की रूटीन ओपीडी से जोड़ने की योजना बना रहा है। इसके तहत, टेलीमेडिसिन के जरिए एम्स के चिकित्सक दूरस्थ क्षेत्रों के मरीजों का इलाज करेंगे। यदि मरीजों को किसी जांच या दवाई की आवश्यकता होगी, तो वह ड्रोन के माध्यम से सीधे मरीज तक पहुंचेगी। साथ ही, मरीज का ब्लड सैंपल भी ड्रोन से एम्स लाया जाएगा।

 

हब एंड स्पोक मॉडल के तहत सेवा का विस्तार

 

एम्स ने इस ड्रोन सेवा को हब एंड स्पोक मॉडल के तहत विकसित करने की योजना बनाई है। इसके अनुसार, एम्स हब के रूप में कार्य करेगा, और अन्य स्वास्थ्य केंद्र स्पोक के रूप में एम्स से जुड़ेंगे। भविष्य में, इस सेवा को टिहरी के फकोट, पिल्खी और यमकेश्वर जैसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा। अब तक, इस सेवा का सबसे अधिक लाभ सीएचसी चंबा को मिला है।

 

एम्स का ड्रोन मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित

 

एम्स की नियमित ड्रोन सेवा का मॉडल अब पूरे देश में एक आदर्श बन चुका है। विशेष रूप से दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में इस सेवा ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस सेवा पर आधारित एक रिसर्च पेपर “जर्नल ऑफ फेमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर इंडिया”, “जर्नल ऑफ कम्युनिटी हेल्थ”, और एम्स के “जर्नल ऑफ मेडिकल एविडेंस” में प्रकाशित किया गया है।

 

निदेशक एम्स ऋषिकेश का संदेश

 

एम्स के निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि इस ड्रोन सेवा के माध्यम से, एम्स का प्रयास है कि हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जाएं। इस सेवा के अधिक से अधिक लाभ के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि दूरस्थ क्षेत्रों के लोग भी इसका लाभ उठा सकें।

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