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उत्तराखंड के चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हर वर्ष की तरह इस बार भी भगवान रुद्रनाथ की भोग मूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना के साथ डोली यात्रा का शुभारंभ किया गया। यह यात्रा भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है और बड़ी श्रद्धा से इसे संपन्न किया जाता है।

 

शुक्रवार सुबह ठीक छह बजे रुद्रनाथ की भोग मूर्ति की विशेष पूजा शुरू हुई। पुजारी सुनील तिवारी ने विधि-विधान से अभिषेक पूजा और पंच पूजा की। रुद्रनाथ जी को गंगाजल, पंचामृत और सुगंधित जल से स्नान कराकर फूलों, चंदन और धूप-दीप से पूजा की गई। इसके बाद भगवान को भोग अर्पित किया गया, जिसमें पारंपरिक व्यंजन और फल शामिल थे।

 

पूजा संपन्न होने के बाद भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली ने भक्तों से विदा ली। सुबह दस बजे डोली ने अपने मंदिर की ओर प्रस्थान किया। सबसे पहले डोली गोपीनाथ मंदिर के मंडप में पहुंची, जहां भगवान गोपीनाथ से आज्ञा लेने की परंपरा निभाई गई। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसमें एक देवता दूसरे देवता से यात्रा की अनुमति प्राप्त करते हैं। डोली को आज्ञा मिलने के बाद वह अपने अगले पड़ाव पुंग बुग्याल की ओर रवाना हुई।

 

गोपीनाथ मंदिर परिसर में डोली यात्रा के दौरान भक्तों ने “जय रुद्रनाथ” और “जय गोपीनाथ” के जयकारे लगाए। वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया। डोली यात्रा में शामिल सैकड़ों श्रद्धालुओं ने रुद्रनाथ की डोली के दर्शन किए और अपनी मनोकामनाएं भगवान के सामने रखीं। कई श्रद्धालु मन्नतें मांगते हैं कि यदि उनकी इच्छाएं पूरी हुईं तो वे अगली बार नंगे पांव यात्रा करेंगे या विशेष भोग अर्पित करेंगे।

 

शाम करीब साढ़े पांच बजे डोली पुंग बुग्याल पहुंच गई, जहां रात्रि विश्राम किया गया। पुंग बुग्याल एक खूबसूरत घास का मैदान है, जो ऊँचाई पर स्थित है और जहाँ रात में विशेष पूजा होती है। डोली के साथ चल रहे भक्तगण भी यहीं ठहरे। इस यात्रा के दौरान भक्त कठिन पहाड़ी रास्तों से गुजरते हैं, लेकिन उनकी आस्था इतनी दृढ़ होती है कि थकान का कोई असर नहीं होता।

 

शनिवार को डोली रुद्रनाथ मंदिर पहुंचेगी। डोली के मंदिर में पहुंचने के साथ ही मंदिर के कपाट खोलने की तैयारियां अंतिम चरण में पहुँच जाएँगी। भगवान रुद्रनाथ के कपाट 18 मई को सुबह छह बजे भक्तों के दर्शन हेतु खोल दिए जाएंगे। कपाट खुलने के दिन हजारों श्रद्धालु मंदिर में एकत्र होते हैं और भगवान के प्रथम दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।

 

रुद्रनाथ मंदिर पंचकेदारों में से एक है और यह समुद्र तल से लगभग 3600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ भगवान शिव की मुख रूप में पूजा होती है। यहाँ की यात्रा कठिन होने के बावजूद, भक्तगण हर साल इस यात्रा में भाग लेने के लिए देश-विदेश से आते हैं।

 

यह डोली यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं और देवभूमि उत्तराखंड की आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है। यह यात्रा हमें प्रकृति, श्रद्धा और आस्था से जोड़ती है और एकता व भक्ति का संदेश देती है।

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