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देहरादून: उत्तराखंड राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने साइबर ठगी के एक बेहद शातिर गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो ‘सेक्सटॉर्शन’ जैसे घिनौने अपराध के जरिये लोगों को ब्लैकमेल करता था। इस गिरोह के एक सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार किया गया है, जिसकी पहचान राजस्थान के टोंक जिले निवासी सल्लू के रूप में हुई है। आरोपी लोगों को फर्जी वीडियो कॉल्स और अश्लील वीडियो के माध्यम से फंसाकर खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताता था, और बाद में डर का माहौल बनाकर मोटी रकम ठगता था।

 

बुजुर्ग को बनाया शिकार, 25 लाख की ठगी

 

STF के अनुसार, आरोपी सल्लू ने देहरादून में रहने वाले एक बुजुर्ग को अपने जाल में फंसाया। सबसे पहले आरोपी ने बुजुर्ग से वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क किया। इसके बाद कॉल पर एक महिला को अश्लील गतिविधियों में दिखाकर बुजुर्ग को फंसा दिया गया। पीड़ित को विश्वास दिलाया गया कि वह गंभीर कानूनी मुसीबत में फंस चुके हैं।

 

इसके बाद आरोपी ने खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए बुजुर्ग को धमकाना शुरू कर दिया। उसने कहा कि उनके खिलाफ अश्लीलता और साइबर अपराध का केस दर्ज किया जाएगा और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा। मानसिक दबाव और सामाजिक बदनामी के डर से बुजुर्ग ने आरोपी के बताए बैंक खातों में करीब 25 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

 

ठगी का हाईटेक तरीका

 

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) नवनीत सिंह भुल्लर ने प्रेस वार्ता में बताया कि यह गिरोह बेहद पेशेवर तरीके से काम करता था। सबसे पहले सोशल मीडिया, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स या व्हाट्सएप के जरिए संभावित पीड़ितों से संपर्क किया जाता था। फिर एक महिला की मदद से उन्हें अश्लील वीडियो कॉल्स में फंसाया जाता था। जब पीड़ित भ्रम और घबराहट की स्थिति में पहुंच जाता, तब आरोपी खुद को किसी बड़े जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर ब्लैकमेलिंग शुरू करता।

 

आरोपी और उसका गिरोह मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर लोगों से मोटी रकम वसूलते थे। वे लोगों को धमकी देते कि अगर पैसे नहीं दिए गए, तो उनके परिवार को वीडियो भेज दिया जाएगा या सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा।

 

फर्जी बैंक खातों का नेटवर्क

 

जांच के दौरान STF को पता चला कि आरोपी ने ठगी से कमाए गए पैसों को छुपाने और ट्रैकिंग से बचने के लिए 30 से 40 फर्जी बैंक खाते खुलवाए थे। इन खातों का उपयोग पैसे को एक से दूसरी जगह भेजने में किया जाता था ताकि साइबर टीम उसे ट्रैक न कर सके। इन खातों में से कई फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खुलवाए गए थे।

 

गिरफ्तारी के समय पुलिस ने आरोपी के पास से एक स्मार्टफोन, आठ बैंक पासबुक, चार एटीएम/डेबिट कार्ड, और दो सक्रिय सिम कार्ड बरामद किए हैं। ये सभी चीजें गिरोह की ठगी योजनाओं में उपयोग की जाती थीं।

 

गिरोह के अन्य सदस्य भी रडार पर

 

STF ने बताया कि गिरोह में कम से कम तीन से चार लोग सक्रिय रूप से शामिल हैं। फिलहाल एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है जबकि बाकी दो संदिग्धों की तलाश जारी है। पुलिस ने उनके खिलाफ नोटिस जारी कर दिए हैं और संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।

 

पुलिस को आशंका है कि इस गिरोह ने ना सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि अन्य राज्यों में भी इसी तरह की वारदातों को अंजाम दिया है। इस एंगल से भी जांच जारी है कि कहीं इनके तार अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क से तो नहीं जुड़े हुए हैं।

 

आम जनता के लिए चेतावनी

 

इस पूरे मामले को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस और साइबर सेल ने आम जनता से सतर्क रहने की अपील की है। किसी भी अनजान नंबर से आए वीडियो कॉल या संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करने की सलाह दी गई है। यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार के वीडियो कॉल या धमकी भरे मैसेज का शिकार होता है, तो उसे तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर हेल्पलाइन पर रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए।

 

पुलिस का कहना है कि ऐसे मामलों में समय रहते रिपोर्ट करने से ना सिर्फ पीड़ित को सहायता मिल सकती है, बल्कि आरोपियों तक पहुंचना भी आसान हो जाता है।

 

 

 

निष्कर्ष:

 

यह मामला न सिर्फ एक साइबर ठगी का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे अपराधी टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करके आम लोगों को मानसिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं। जागरूकता ही ऐसे अपराधों से बचने का सबसे बड़ा हथियार है। पुलिस और साइबर टीमें अपने स्तर पर सक्रिय हैं, लेकिन समाज के प्रत्येक नागरिक को भी सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है।

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