देश के प्रथम गांव माणा में 12 साल बाद एक बार फिर पावन पुष्कर कुंभ का आयोजन किया गया है। इस खास अवसर पर देशभर से श्रद्धालु पहुंचे हैं, जिनमें दक्षिण भारत के लोगों की संख्या सबसे अधिक देखी गई। सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालु केशव प्रयाग में पवित्र स्नान के लिए जुटने लगे थे। स्नान के बाद भक्तों ने पास ही स्थित सरस्वती मंदिर के दर्शन किए।
दिनभर भीम पुल से लेकर केशव प्रयाग तक का पैदल रास्ता श्रद्धालुओं से भरा रहा। जगह-जगह भजन-कीर्तन की आवाजें गूंजती रहीं और पूरा माहौल भक्तिमय बन गया। बृहस्पतिवार को ही लगभग 10,000 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर आस्था की डुबकी लगाई।
इस दौरान बहुत से श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान भी किया। इस मौके पर पहुंचे उड़ीसा के श्रद्धालु कामेश्वर राव ने बताया कि वे पहली बार पुष्कर कुंभ में शामिल हुए हैं और यह उनके लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि 12 साल बाद यह पुण्य अवसर मिला, जिसमें स्नान और पिंडदान कर उन्होंने विशेष शांति का अनुभव किया।
कामेश्वर राव ने यह भी बताया कि देशभर की 12 नदियों में अलग-अलग समय पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, और केशव प्रयाग उनमें से एक पवित्र स्थल है।
पुष्कर कुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक है, जहां हर 12 साल बाद लाखों श्रद्धालु पुण्य लाभ के लिए उमड़ते हैं।