परिवहन मुख्यालय ने ग्रीन सेस (Green Cess) की वसूली के लिए एक नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए निविदा (टेंडर) प्रक्रिया के तहत एक उपयुक्त कंपनी का चयन कर लिया गया है, जो इस काम को संभालेगी। ग्रीन सेस वह शुल्क है जो प्रदूषण फैलाने वाले या भारी वाहनों से लिया जाता है, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।
इस नई व्यवस्था के तहत अब ग्रीन सेस की वसूली के लिए एक खास सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया गया है। यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह डिजिटल होगा और इससे वसूली की प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और तेज़ हो जाएगी। इस सॉफ्टवेयर को केंद्र सरकार की परिवहन विभाग और अन्य संबंधित वेबसाइटों से जोड़ा जा रहा है, जिससे वाहन मालिकों को ग्रीन सेस भरने में कोई परेशानी न हो।
अब वाहन मालिक या एजेंसी ऑनलाइन माध्यम से ही ग्रीन सेस भर सकेंगे। इससे उन्हें बार-बार दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और समय की भी बचत होगी। यह कदम डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और मजबूत कदम माना जा रहा है।
यह नया सिस्टम लागू होने के बाद उम्मीद है कि ग्रीन सेस की वसूली में पारदर्शिता बढ़ेगी, राजस्व की चोरी रुकेगी और प्रदूषण नियंत्रण को बढ़ावा मिलेगा। सरकार का मकसद है कि पर्यावरण को बेहतर बनाया जाए और साथ ही तकनीक का इस्तेमाल करके प्रशासनिक प्रक्रियाओं को ज्यादा प्रभावी और आसान बनाया
जाए।