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उत्तराखंड सरकार ने इस साल गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में कोई बढ़ोतरी न करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पिछले साल तय किए गए गन्ने के दाम ही इस बार भी लागू रहेंगे। इसका मतलब है कि गन्ना किसानों को इस साल भी वही दाम मिलेंगे, जो पिछले पेराई सत्र में मिल रहे थे।

 

सरकार ने घोषणा की है कि अगेती (जल्दी पकने वाली) गन्ने की किस्म का दाम 375 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य गन्ने का दाम 365 रुपये प्रति क्विंटल रहेगा। यह फैसला राज्य में चीनी मिलों की स्थिति और उनकी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

 

कैबिनेट में यह भी बताया गया कि राज्य की सहकारी, सार्वजनिक और निजी चीनी मिलों द्वारा किसानों से खरीदे जाने वाले गन्ने का समर्थन मूल्य राज्य परामर्शी समिति की सिफारिशों के आधार पर तय किया जाता है। इस समिति ने इस साल गन्ने के दामों में कोई बदलाव न करने की सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया।

 

इस फैसले के बाद किसान दो हिस्सों में बंटे हुए नजर आ रहे हैं। कुछ किसानों का मानना है कि मौजूदा दाम उनके लिए ठीक हैं, जबकि कई किसान बढ़ती महंगाई को देखते हुए गन्ने के दाम बढ़ाने की मांग कर रहे थे। उनका कहना है कि खाद, बीज और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए सरकार को गन्ने के समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी करनी चाहिए थी।

 

हालांकि, सरकार का तर्क है कि वर्तमान आर्थिक हालात को देखते हुए चीनी मिलों पर ज्यादा बोझ डालना संभव नहीं है। सरकार का मानना है कि इस फैसले से चीनी मिलें सुचारू रूप से काम कर सकेंगी और किसानों को समय पर भुगतान भी मिल पाएगा।

 

कुल मिलाकर, उत्तराखंड के गन्ना किसानों को इस साल भी पुराने दामों पर ही गन्ना बेचना होगा, क्योंकि सरकार ने समर्थन मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया है।

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