उत्तराखंड सरकार ने आगामी कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र एक अहम फैसला लिया है। इस धार्मिक आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं। उनकी सेहत और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब यात्रा मार्गों पर स्थापित हर खाद्य दुकान, ठेला और भंडारा संचालनकर्ता को अपने लाइसेंस, पंजीकरण प्रमाणपत्र और पहचान पत्र को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
तत्काल प्रभाव से लागू हुआ आदेश
इस नियम को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। यदि कोई दुकान या ठेला संचालक इस निर्देश का उल्लंघन करता है, तो खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत उस पर ₹2 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
भंडारे और पंडाल भी नियम के दायरे में
स्वास्थ्य सचिव और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने जानकारी दी कि इस साल की कांवड़ यात्रा में भंडारे, पंडाल, रेहड़ी, ठेले और सभी प्रकार के खाद्य विक्रेता इन नियमों के अंतर्गत आएंगे। किसी भी स्तर पर खाद्य गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा।
डॉ. कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन दुकानों या भंडारों में यह नियम लागू नहीं होंगे, वहां प्रशासनिक टीमें जांच कर सीधे कार्रवाई करेंगी।
पाँच ज़िलों में विशेष निगरानी
देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी – इन पाँच प्रमुख जिलों में जहां से कांवड़ यात्रा गुजरती है, विशेष निगरानी अभियान चलाया जा रहा है। इन जिलों के खाद्य कारोबारियों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि वे यात्रा शुरू होने से पहले ही अपने लाइसेंस और दस्तावेज तैयार रखें और दुकान पर लगाए रखें।
छोटे दुकानदारों को भी नियम से छूट नहीं
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल बड़े रेस्टोरेंट या दुकानदार ही नहीं, बल्कि फेरी वाले, ठेले-फड़, छोटे विक्रेता और अस्थायी दुकानों को भी इस नियम का पालन करना अनिवार्य है। सभी को फोटो पहचान पत्र और पंजीकरण प्रमाण पत्र अपनी दुकान या स्टॉल पर साफ़-साफ़ प्रदर्शित करना होगा।
लाइसेंस के बिना व्यापार करना गैरकानूनी
एफडीए के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा है कि बिना वैध लाइसेंस के खाद्य सामग्री बेचना अब पूरी तरह से गैरकानूनी होगा। ऐसे किसी भी विक्रेता के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी और ज़रूरत पड़ी तो दुकान को बंद भी किया जा सकता है।
जन-जागरूकता के लिए IEC अभियान शुरू
उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के दौरान जनता को शुद्ध और सुरक्षित भोजन के प्रति जागरूक करने के लिए एक विशेष आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) अभियान भी शुरू किया है। इसके तहत बैनर, पोस्टर, पर्चे और सोशल मीडिया के ज़रिए यात्रियों और दुकानदारों को बताया जा रहा है कि उन्हें किन खाद्य मानकों का पालन करना है और शुद्ध भोजन की पहचान कैसे करनी है।
शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर
सरकार ने एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर – 1800-180-4246 भी जारी किया है। अगर किसी यात्री को किसी दुकान पर बिक रहे खाद्य पदार्थ में मिलावट या गुणवत्ता को लेकर संदेह होता है, तो वह इस नंबर पर शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायत मिलते ही प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचकर तुरंत कार्रवाई करेंगी।
आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया की दिशा में कदम
यह निर्णय न केवल यात्रियों की सेहत की रक्षा करेगा, बल्कि डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को भी मजबूत करेगा। जैसे-जैसे देश टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रहा है, ऐसे पारदर्शी और जिम्मेदार उपाय जरूरी हो गए हैं ताकि हर व्यक्ति को सुरक्षित सेवाएं मिल सकें।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि
हर साल सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड में गंगा जल लेने हरिद्वार और अन्य तीर्थ स्थलों पर आते हैं। इस दौरान खानपान की गुणवत्ता और स्वच्छता को लेकर बार-बार सवाल उठते रहे हैं। यही वजह है कि इस बार राज्य सरकार ने पहले ही सख्त रुख अपनाया है ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य हानि या फूड पॉयजनिंग जैसी घटनाएं रोकी जा सकें।
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निष्कर्ष:
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय एक सकारात्मक पहल है जो ना सिर्फ़ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि खाद्य व्यापार में ईमानदारी, पारदर्शिता और उपभोक्ता अधिकारों को भी बढ़ावा देता है। उम्मीद की जा रही है कि इस कांवड़ यात्रा में सभी विक्रेता नियमों का पालन करेंगे और यात्रियों को शुद्ध और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराएंगे।