उत्तराखंड के चमोली जिले से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया है। थराली क्षेत्र के गौचर इलाके में एक छोटे से गधेरे (बरसाती जलधारा) में नहाने गए पांच बच्चे अचानक पानी के तेज बहाव में फंस गए। गनीमत यह रही कि तीन बच्चों को समय रहते बचा लिया गया, लेकिन दो मासूमों की डूबकर दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा गौचर से कुछ दूरी पर स्थित पनाई गांव के पास लोडिया गधेरे में हुआ।
ट्यूशन जाते समय बच्चों ने लिया नहाने का फैसला
मिली जानकारी के अनुसार, सभी बच्चे ट्यूशन पढ़ने के लिए अपने घरों से निकले थे। गर्मी और उमस से राहत पाने के लिए उन्होंने रास्ते में पड़ने वाले लोडिया गधेरे में नहाने का फैसला किया। गधेरा देखने में शांत लग रहा था, लेकिन मानसून के इस मौसम में पानी की धारा भीतर से बेहद तेज थी, जिसका अंदाजा बच्चों को नहीं था।
नहाने के दौरान अचानक एक बच्चा गहरे पानी में फिसलकर बहने लगा। उसे डूबता देख चार अन्य बच्चे उसे बचाने के लिए दौड़ पड़े और खुद भी पानी में कूद गए। लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि दो बच्चे उसमें फंसकर बाहर नहीं निकल पाए। देखते ही देखते दोनों गहरे पानी में समा गए।
रेस्क्यू टीम ने निकाले शव, अस्पताल में हुई पुष्टि
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और तुरंत पुलिस व एसडीआरएफ को खबर दी गई। राहत व बचाव दल ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कई घंटों की मशक्कत के बाद दोनों बच्चों के शव पानी से बाहर निकाले गए। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतकों की पहचान और इलाके में शोक की लहर
इस हादसे में जिन दो बच्चों की जान गई, उनकी पहचान गौरव गोसाई (निवासी डूंगरी गांव, नारायणबगड़) और दिव्यांशु बिष्ट (निवासी श्रीकोर्ट, गौचर) के रूप में हुई है। गौरव और दिव्यांशु दोनों ही पढ़ाई में अच्छे थे और अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनके परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। घरों में मातम पसरा हुआ है और परिजन रो-रोकर बेहाल हैं।
स्थानीय लोग भी इस घटना से बेहद व्यथित हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस गधेरे में पहले भी ऐसे हादसे होते रहे हैं, लेकिन लोग लगातार चेतावनियों को नजरअंदाज करते आ रहे हैं।
प्रशासन की अपील: नदियों और गधेरों से दूरी बनाएं
घटना के बाद जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि बारिश और मानसून के समय किसी भी जलस्रोत—चाहे वह गधेरा हो या नदी—के नजदीक न जाएं। बरसाती नालों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है और गहरे भंवर बन सकते हैं, जिनमें बड़े-बड़े लोग भी फंस जाते हैं।
प्रशासन ने कहा है कि “बच्चों को अकेले बाहर न जाने दें, खासकर उन रास्तों पर जहां जलधाराएं या गधेरे पड़ते हों। कई बार ऊपर पहाड़ों में बारिश होती है और नीचे मैदानों में अचानक पानी का बहाव बढ़ जाता है, जिससे ऐसे हादसे होते हैं।”
स्थानीय लोगों की मांग: लगें चेतावनी बोर्ड और बाड़
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे संवेदनशील इलाकों में चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं और संभव हो तो सुरक्षा के लिए बाड़ या बैरिकेड्स बनाए जाएं। बच्चों और ग्रामीणों को समय-समय पर जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
स्कूलों और ट्यूशन सेंटरों से भी अपील
प्रशासन और अभिभावकों ने स्कूलों और ट्यूशन सेंटर्स से भी अपील की है कि वे बच्चों को मानसून के समय जलस्रोतों से दूर रहने के लिए विशेष रूप से समझाएं। इसके अलावा, बच्चों के साथ सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी विचार किया जाए ताकि वे एक-दूसरे का ध्यान रख सकें और कोई अनहोनी न हो।
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यह हादसा एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करता है कि प्राकृतिक जलस्रोतों की खूबसूरती के पीछे छिपा खतरा अकसर नजरअंदाज कर दिया जाता है। बच्चों की मासूम जिंदगियां सिर्फ एक छोटी-सी लापरवाही की वजह से चली गईं, जिसे समय रहते रोका जा सकता था। ज़रूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर जागरूक बनें और दूसरों को भी सतर्क करें, ताकि भविष्य
में कोई और मासूम अपनी जान न गंवाए।