उत्तराखंड सरकार त्रियुगीनारायण गांव को वैदिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है। यह वही स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का पौराणिक विवाह हुआ था। अब इसे वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी पहचान मिल रही है।
स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि युवाओं को कैंपिंग और टूरिज्म से जुड़े प्रशिक्षण दिए जाएंगे ताकि उन्हें स्वरोजगार के अवसर मिल सकें।
केदारखंड मंदिर मिशन और नंदा राजजात यात्रा
“केदारखंड मंदिर मिशन” को “मानसखंड मंदिर माला मिशन” की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। साथ ही, 2026 में होने वाली नंदा राजजात यात्रा की तैयारियां अभी से शुरू होंगी।
चारधाम यात्रा को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय दर्जा
चारधाम यात्रा को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है ताकि इसे वैश्विक पहचान मिले। साथ ही, शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार होगा।
अवैध होटल्स पर कार्रवाई और ईवी चार्जिंग सुविधा
पर्यटन स्थलों पर बिना अनुमति चल रहे होटल-रिसॉर्ट्स पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सभी प्रमुख टूरिस्ट होम्स में ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे।
धार्मिक स्थलों के विकास को मिली बड़ी स्वीकृति
उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन विकास के लिए 48,676 लाख रुपये की योजनाएं मंजूर की हैं। हनोल में महासू देवता मंदिर में कई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, और 28 मंदिरों को “मानसखंड मिशन” में शामिल किया गया है।
डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा – वेड इन उत्तराखंड 2025
टिहरी, त्रियुगीनारायण और ऋषिकेश को डेस्टिनेशन वेडिंग हब बनाने के लिए “वेड इन उत्तराखंड-2025” प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार की योजना के तहत 17.59 करोड़ की अ
तिरिक्त मदद भी मिली है।