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उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित सिमतोला ईको पार्क न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। नगर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित यह पार्क 64 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें देवदार, बबूल, चीड़ जैसे बहुमूल्य वृक्षों की भरमार है। हर साल हजारों पर्यटक इस जगह की प्राकृतिक छटा का आनंद लेने आते हैं। ऐसे में यहां की जैव विविधता और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने एक सराहनीय कदम उठाया है।

 

वन विभाग ने सिमतोला ईको पार्क को जंगल में लगने वाली आग यानी वनाग्नि से बचाने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया है। इसके तहत लगभग 30 हजार रुपये की लागत से पार्क में छह स्थानों पर पानी के टैंक और हाईड्रेंट प्वाइंट स्थापित किए गए हैं। ये टैंक और हाईड्रेंट प्वाइंट जंगल में आग लगने की स्थिति में तत्काल पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे। यह पहल न केवल पर्यटकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्कि इससे वन्य जीवों और जैविक संपदा की भी रक्षा संभव हो सकेगी।

 

जल स्रोतों से वन्य जीवों को राहत

 

वनों में आग लगने की घटनाओं का सबसे गंभीर प्रभाव वहां निवास करने वाले जीव-जंतुओं पर पड़ता है। जल स्रोत सूखने या नष्ट हो जाने की स्थिति में वन्य जीवों को इधर-उधर भटकना पड़ता है, जिससे उनकी जान को खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अब, दो फीट गहराई में स्थापित किए गए इन पानी के टैंकों में पूरे साल भर पानी उपलब्ध रहेगा। इससे वन्य जीवों को गर्मी के मौसम में भी पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और उनकी जीवन रक्षा हो सकेगी।

 

हाईड्रेंट प्वाइंट से आग पर जल्द काबू

 

वनाग्नि की घटनाएं अक्सर दूरदराज के क्षेत्रों में होती हैं, जहां तक दमकल की गाड़ियाँ समय पर नहीं पहुंच पातीं। ऐसे में यह हाईड्रेंट प्वाइंट बेहद मददगार साबित होंगे। किसी भी आग की स्थिति में इन प्वाइंट्स से तुरंत पानी निकाला जा सकेगा और आग को फैलने से पहले ही काबू में लिया जा सकेगा। इससे बहुमूल्य वन संपदा को नुकसान से बचाया जा सकेगा और पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा।

 

व्यापक स्तर पर विस्तार की योजना

 

सिर्फ सिमतोला तक ही सीमित न रहते हुए, वन विभाग ने यह योजना पूरे जिले में लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए लगभग 18 लाख रुपये का बजट तय किया गया है। इस धनराशि से हर रेंज के 100 संवेदनशील वन क्षेत्रों में टैंक और हाईड्रेंट प्वाइंट स्थापित किए जाएंगे। यह रणनीतिक पहल राज्य के विभिन्न जंगलों को आग की विभीषिका से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

 

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

 

पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। लेकिन जंगलों में लगने वाली आग पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा देती है। वन विभाग की इस योजना से पर्यटकों का विश्वास बढ़ेगा और वे बिना किसी डर के जंगल की खूबसूरती का आनंद ले सकेंगे। यह कदम ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।

 

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम

 

वन विभाग की यह पहल केवल आग बुझाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र पर्यावरणीय प्रबंधन योजना का हिस्सा है। यह न केवल वनों को सुरक्षित बनाएगी, बल्कि जैव विविधता, वन्य जीवों, और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी संतुलित रखने में सहायक होगी। जल संरक्षण, वन संरक्षण और पर्यटन विकास—तीनों को एक साथ जोड़ने वाली यह योजना वास्तव में उदाहरणीय है।

 

 

 

निष्कर्षतः, सिमतोला ईको पार्क में पानी के टैंक और हाईड्रेंट प्वाइंट की स्थापना एक छोटी लागत में बड़ा प्रभाव डालने वाला कदम है। यह न केवल आग की आपात स्थितियों में उपयोगी सिद्ध होगा, बल्कि इससे वन्य जीवों को राहत, पर्यटकों को सुरक्षा और जंगलों को दीर्घकालिक संरक्षण भी मिलेगा। यदि इस योजना को पूरे राज्य में प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो यह उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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