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Uttrakhand :उत्तराखंड सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुचारु और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में हुए प्रशासनिक फेरबदल में अपर निदेशक और संयुक्त निदेशक स्तर के कई वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले किए गए हैं। यह बदलाव राज्य के चिकित्सा और आयुष विभागों के प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करने और संचालन में गति लाने के उद्देश्य से किया गया है।

 

अपर व संयुक्त निदेशक स्तर पर स्थानांतरण

 

इस बदलाव के तहत, हाल ही में पदोन्नत किए गए नौ अपर निदेशकों को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जबकि बारह संयुक्त निदेशक स्तर के चिकित्सकों को विभिन्न जिलों और संस्थानों में स्थानांतरित किया गया है। इन अधिकारियों को उनके अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर नई तैनाती दी गई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में क्षेत्रीय संतुलन और दक्षता सुनिश्चित की जा सके।

 

सरकार का मानना है कि इन तबादलों के माध्यम से न केवल प्रशासनिक कामकाज में सुधार होगा, बल्कि आमजन तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।

 

रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल को मिला नया नेतृत्व

 

रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनोज बडोनी के आकस्मिक निधन से उत्पन्न रिक्ति को भरने हेतु त्वरित निर्णय लिया गया है। विभाग ने वरिष्ठतम चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र कुमार द्विवेदी को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।

 

डॉ. द्विवेदी एक अनुभवी चिकित्सक हैं और उन्हें अस्पताल प्रशासन और मरीजों की देखभाल के क्षेत्र में गहरा अनुभव है। यह नियुक्ति न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली को बनाए रखने में सहायक होगी, बल्कि आने वाले समय में संस्थान को दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

 

आयुष विभाग में भी हुए महत्वपूर्ण तबादले

 

स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ आयुष विभाग में भी कई प्रशासनिक स्तर पर नियुक्तियां और स्थानांतरण किए गए हैं। इन बदलावों का मकसद पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की पहुंच को और अधिक व्यापक बनाना और संगठनात्मक सुधार लाना है।

 

डॉ. मिथिलेश कुमार, जो कि वर्तमान में संयुक्त निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, को देहरादून का जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी नियुक्त किया गया है।

 

डॉ. जीपीएस जंगपांगी को संयुक्त निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं निदेशालय का कार्यभार सौंपा गया है।

 

वहीं डॉ. अतुल सिंह नेगी को हरिद्वार में अपर जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है।

 

 

इन तबादलों से उम्मीद की जा रही है कि आयुष सेवाओं का दायरा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में संतुलित रूप से बढ़ेगा और मरीजों को पारंपरिक चिकित्सा का समुचित लाभ मिल सकेगा।

 

उद्देश्य और प्रशासनिक दृष्टिकोण

 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह फेरबदल राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक संगठित, सशक्त और परिणाममुखी बनाने की रणनीति का हिस्सा है। जहां एक ओर इससे संस्थानों के संचालन में निरंतरता बनी रहेगी, वहीं दूसरी ओर नए अधिकारियों के दृष्टिकोण से काम करने की शैली में नवाचार भी देखने को मिलेगा।

 

इसके अलावा, यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने की दिशा में भी एक सार्थक पहल माना जा रहा है। खासकर पर्वतीय और दूरस्थ इलाकों में, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच अपेक्षाकृत सीमित रही है, वहां यह बदलाव नई ऊर्जा का संचार कर सकता है।

 

 

उत्तराखंड में स्वास्थ्य प्रशासनिक ढांचे में यह व्यापक फेरबदल नए नेतृत्व, समन्वय और जवाबदेही को मजबूत करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। चाहे बात मेडिकल प्रशासन की हो या आयुष सेवाओं की, सरकार का यह निर्णय दूरगामी दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह उम्मीद की जा रही है कि इन नए तबादलों से न केवल कार्यक्षमता में इजाफा होगा, बल्कि राज्य के नागरिकों को बेहतर और समय पर स्वास्थ्य सेवाएं भी मिल सकेंगी।

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