नैनीताल। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपने तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे के क्रम में बुधवार को नैनीताल पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया। यह ऐतिहासिक समारोह विश्वविद्यालय के हरमिटेज भवन परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें उपराष्ट्रपति दोपहर करीब 12:45 बजे पहुंचे।
भव्य समारोह में भाग लिया उपराष्ट्रपति ने
कुमाऊं विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी और 2023-24 में यह संस्था अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इस स्वर्णिम अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है।
कार्यक्रम स्थल पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत, सहित अनेक विशिष्ट अतिथि, शिक्षाविद, छात्र-छात्राएं और शोधार्थी उपस्थित रहे।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना एक चुनौती है, जिसे कुमाऊं विश्वविद्यालय ने सफलतापूर्वक निभाया है।
उन्होंने छात्रों से शोध, नवाचार और तकनीकी उन्नयन की दिशा में निरंतर आगे बढ़ने का आह्वान किया और कहा कि “नई पीढ़ी ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाएगी।”
हेलीपैड से नैनीताल तक विशेष सुरक्षा प्रबंध
उपराष्ट्रपति बरेली से हवाई मार्ग द्वारा हल्द्वानी स्थित आर्मी हेलीपैड पहुंचे, जहां राज्यपाल गुरमीत सिंह ने उनका औपचारिक स्वागत किया। वहां से वे सड़क मार्ग से नैनीताल रवाना हुए।
उनके आगमन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। कालाढूंगी रोड और भवाली रोड पर यातायात को कुछ समय के लिए अस्थायी रूप से रोका गया, जिससे उपराष्ट्रपति का काफिला सुरक्षित और सुचारु रूप से नैनीताल पहुंच सके।
स्वागत में उमड़े राज्य के प्रतिनिधि और अधिकारी
नैनीताल आगमन पर उपराष्ट्रपति का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उत्तराखंड सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से प्रतिनिधित्व कर रही थीं, ने उपराष्ट्रपति का अभिनंदन किया।
साथ ही, सांसद अजय भट्ट, हल्द्वानी महापौर गजराज बिष्ट, वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष दीपक महरा, कुमाऊं मंडल आयुक्त दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल, डीएम वंदना, एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा, और सेना के स्टेशन कमांडर कर्नल जतिन ढिल्लन जैसे कई वरिष्ठ अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
प्रशासन ने किया सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
उपराष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। शहर भर में विशेष निगरानी रखी गई और 11 कार्यकारी मजिस्ट्रेटों के साथ कुल 19 प्रशासनिक अधिकारियों को अलग-अलग ड्यूटी में तैनात किया गया। सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती से नैनीताल में सामान्य जनजीवन भी सुरक्षित और व्यवस्थित बना रहा।
छात्रों के बीच उपराष्ट्रपति का संवाद
समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों से भी संवाद किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य समाज में बदलाव लाना होना चाहिए।
उन्होंने युवाओं को “विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता” की दिशा में काम करने की सलाह दी। साथ ही कहा कि आज का भारत आत्मनिर्भर बन रहा है, और इसमें युवाओं की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण है।
विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का हुआ प्रदर्शन
कार्यक्रम में कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 50 वर्षों में प्राप्त शैक्षणिक, अनुसंधान और सामाजिक उपलब्धियों को भी प्रदर्शित किया गया। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय की शोध पत्रिकाओं, तकनीकी प्रगति, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नवाचारों की झलक भी प्रस्तुत की गई।
निष्कर्ष:
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यह दौरा न केवल कुमाऊं विश्वविद्यालय बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण रहा। उनकी उपस्थिति से विश्वविद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह और भी ऐतिहासिक बन गया। उपराष्ट्रपति के उद्बोधन ने छात्रों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और प्रशासनिक तैयारियों ने इस कार्य
क्रम को पूरी तरह सफल और व्यवस्थित बनाया।