उत्तराखंड की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल नैनीताल स्थित राजभवन ने अपनी 125 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पूरी कर ली है। इस ऐतिहासिक अवसर को और भी खास बनाने के लिए एक अनूठी पहल की गई, जिसने न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बना दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को नैनीताल में आयोजित एक विशेष समारोह में इस भव्य धरोहर पर आधारित विशेष डाक टिकट जारी किया, जिससे इसे राष्ट्रीय स्मृति में विशेष स्थान दिलाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
राजभवन नैनीताल, जिसे ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया था, गोथिक स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है। इसकी वास्तुकला में ब्रिटिश दौर की शैली झलकती है और चारों ओर फैली प्राकृतिक सुंदरता इसे और भी आकर्षक बनाती है। यह भवन न केवल उत्तराखंड की पहचान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत में एक अमूल्य रत्न की तरह है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मु ने जब विशेष डाक टिकट का विमोचन किया, तो यह क्षण राज्य के लिए गर्व और गौरव से भरा था। डाक टिकट पर अंकित राजभवन की छवि भारत के नागरिकों को इस ऐतिहासिक इमारत की भव्यता से परिचित कराएगी और इसके सांस्कृतिक महत्व को देश भर में रेखांकित करेगी।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने इस अवसर पर राष्ट्रपति का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह डाक टिकट केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की ऐतिहासिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान देने का माध्यम है। उन्होंने इसे प्रदेश के लिए एक अत्यंत गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया और कहा कि इससे राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने राष्ट्रपति को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ अभियान पर आधारित एक विशेष कॉफी टेबल बुक भी भेंट की। इस पुस्तक में उत्तराखंड के राजभवन में आयोजित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्थापना दिवस समारोहों का संकलन प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक राष्ट्रीय एकता, विविधता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक मानी जा रही है।
शाम को राष्ट्रपति निकेतन में “एट होम रिसेप्शन” का आयोजन किया गया, जहां राष्ट्रपति ने बेहद सादगी और आत्मीयता के साथ सभी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया। यह आयोजन भी राज्य की गरिमा को दर्शाता रहा, जहां राष्ट्रपति की उपस्थिति ने माहौल को और भी सम्मानजनक बना दिया।
इस गरिमामय अवसर पर उत्तराखंड सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री और जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, रेखा आर्या, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, तीरथ सिंह रावत सहित अनेक प्रमुख हस्तियों ने कार्यक्रम में भाग लिया। इनके अलावा पद्मश्री प्रीतम भरतवाण जैसे कला जगत से जुड़े सम्मानित व्यक्तित्वों की उपस्थिति ने भी आयोजन को विशिष्ट स्वरूप प्रदान किया।
कार्यक्रम में प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी, सेना के उच्चाधिकारी, संस्कृति और कला क्षेत्र की प्रतिष्ठित हस्तियां, शिक्षाविद और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की सहभागिता भी देखने को मिली। इन सभी की उपस्थिति ने यह सिद्ध किया कि यह आयोजन सिर्फ एक डाक टिकट विमोचन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध विरासत को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का ऐतिहासिक क्षण बन गया।
डाक टिकट जारी करने जैसा प्रतीकात्मक कार्य अपने आप में एक सांस्कृतिक संदेश होता है। यह उस धरोहर की ऐतिहासिक, स्थापत्य और सामाजिक महत्ता को दर्शाता है, जिसे यह टिकट प्रतिनिधित्व करता है। नैनीताल स्थित राजभवन पर आधारित यह डाक टिकट भी इसी परंपरा का हिस्सा बन गया है और अब यह इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।
125 वर्षों से अधिक पुरानी यह इमारत केवल एक शासकीय भवन नहीं रही, बल्कि यह उत्तराखंड की प्रशासनिक, सांस्कृतिक और सामाजिक यात्रा का मूक साक्षी भी रही है। इसने न केवल कई ऐतिहासिक निर्णयों को देखा है, बल्कि राज्य की विविधता को भी अपने प्रांगण में आत्मसात किया है।
अंततः, यह आयोजन उत्तराखंड की उस परंपरा और इतिहास को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया है, जिसमें अतीत की गरिमा, वर्तमान की सक्रियता और भविष्य की संभा
वनाएं सम्मिलित हैं।