1994 में खटीमा में चली थीं गोलियां
आज खटीमा गोलीकांड की 31वीं बरसी है। 1 सितंबर 1994 को राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा में निहत्थे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां बरसाई थीं। इस गोलीकांड में सात आंदोलनकारी शहीद हुए थे। उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। तभी से इस दिन को उत्तराखंड में बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री धामी ने शहीद स्मारक पर अर्पित की श्रद्धांजलि
बरसी के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा पहुंचे और मुख्य चौक स्थित शहीद स्मारक पर शहीद आंदोलनकारियों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। सीएम ने शहीदों के परिजनों का हाल-चाल पूछा और उन्हें अंग वस्त्र व उपहार देकर सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों की शहादत ने ही 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का मार्ग प्रशस्त किया।
सांसद और विधायकों ने दी पुष्पांजलि
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में नैनीताल सांसद अजय भट्ट, खटीमा विधायक भुवन कापड़ी, नानकमत्ता विधायक गोपाल सिंह राणा, जिला पंचायत अध्यक्ष अजय मौर्य, ब्लॉक प्रमुख सरिता आर्या सहित बड़ी संख्या में आंदोलनकारी और स्थानीय लोग मौजूद रहे। सभी ने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।
इन सात आंदोलनकारियों ने दी थी शहादत
खटीमा गोलीकांड में बलिदान देने वाले आंदोलनकारियों में भगवान सिंह सिरोला, गोपी चंद, धर्मानंद पांडे, भगवान सिंह, परमजीत सिंह, रामपाल सिंह और सलीम शामिल थे। उनकी याद में हर साल 1 सितंबर को श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाती हैं।
आंदोलनकारियों के सपनों का राज्य बनाने का संकल्प
कार्यक्रम में सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड अपार संघर्ष और बलिदानों के बाद अस्तित्व में आया है। इसलिए यह सरकार आंदोलनकारियों के सपनों को साकार करने और राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा बनाए गए इस राज्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवारने में जुटे हैं।
आपदा पीड़ितों के साथ खड़ी सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के कई हिस्से—धराली, थराली और रुद्रप्रयाग—भीषण बारिश और आपदा से जूझ रहे हैं। राज्य सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है और पुनर्वास से लेकर राहत तक हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उत्तराखंड को मजबूती और संकल्प के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।