जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव में हुई घटनाओं को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता देवीदत्त कामत ने पुनर्मतदान की मांग की। उनका कहना था कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव अनिवार्य हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की बेंच के सामने सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मतगणना प्रक्रिया की रिपोर्ट शपथपत्र के रूप में पेश की।
कामत ने दलील दी कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने पहले कहा था कि पुनर्मतदान का कोई प्रावधान नहीं है। इस पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि जब निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हों, तो चुनाव आयोग और निर्वाचन अधिकारी को पुनर्मतदान कराने का अधिकार है।
उन्होंने अनुच्छेद 324 का उल्लेख करते हुए बताया कि संविधान के अनुसार चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, जिसे चुनाव कराने, दिशा-निर्देश देने और उन पर नियंत्रण रखने की शक्ति प्राप्त है। यही अधिकार राज्य चुनाव आयोग को भी दिए गए हैं। अगर चुनाव में धांधली, बूथ कैप्चरिंग या हिंसा होती है, तो आयोग के पास चुनाव निरस्त कर दोबारा मतदान कराने का पूरा अधिकार है।
इस मामले में आज भी सुनवाई जारी रहेगी।