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उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में हेलिकॉप्टर सेवाओं का विशेष महत्व है। खासतौर पर चारधाम यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु हेलिकॉप्टर के माध्यम से तीर्थस्थलों तक पहुंचते हैं। इसके अलावा आपदा प्रबंधन और आपातकालीन स्थितियों में भी हेली सेवाएं अहम भूमिका निभाती हैं। लेकिन हाल के वर्षों में हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। इसी पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेली सेवाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाने का निर्णय लिया है।

 

मुख्यमंत्री ने दिए सख्त निर्देश

 

हाल ही में केदारनाथ क्षेत्र में एक हेलिकॉप्टर हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हेलिकॉप्टर संचालन को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि राज्य में अब बिना सख्त मानकों के कोई भी हेली सेवा संचालित नहीं हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सख्त स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार की जाएगी, जो तकनीकी और सुरक्षा दोनों पहलुओं को ध्यान में रखेगी।

 

उड़ान से पहले मौसम और तकनीकी जांच अनिवार्य

 

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि SOP में यह सुनिश्चित किया जाए कि हर उड़ान से पहले हेलिकॉप्टर की तकनीकी स्थिति की पूरी तरह से जांच की जाए। इसके अलावा मौसम की सटीक जानकारी लेना भी अनिवार्य होगा। पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम पल-पल में बदलता है, जो कई बार दुर्घटनाओं का कारण बनता है। ऐसे में मौसम की पूर्व जानकारी और अनुमानों को प्राथमिकता दी जाएगी।

 

तकनीकी विशेषज्ञों की समिति का गठन

 

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति गठित की जाए। यह समिति हेलिकॉप्टर संचालन से जुड़े सभी पहलुओं की गहन समीक्षा करेगी और उसी आधार पर SOP तैयार करेगी। समिति में विमानन, मौसम विज्ञान, इंजीनियरिंग और सुरक्षा विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे। यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि संचालन पूरी तरह से सुरक्षित और पारदर्शी हो।

 

पुरानी दुर्घटनाओं की भी होगी जांच

 

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी कहा कि राज्य में पहले हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की पुन: समीक्षा की जाएगी। इसके लिए पहले से गठित उच्च स्तरीय समिति को निर्देश दिए गए हैं कि वह हाल की दुर्घटना के साथ-साथ पहले की घटनाओं की भी गहराई से जांच करे। समिति को हर पहलू की जाँच कर यह पता लगाने का दायित्व सौंपा गया है कि इन हादसों के पीछे क्या कारण थे और किस स्तर पर लापरवाही हुई।

 

समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोषी व्यक्तियों या संस्थाओं की पहचान की जाएगी और उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी। राज्य सरकार का मानना है कि जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका नहीं जा सकता।

 

तीर्थाटन और आपदा प्रबंधन के लिए हेली सेवाएं अनिवार्य

 

मुख्यमंत्री ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि हेलिकॉप्टर सेवाएं राज्य के लिए केवल एक परिवहन सुविधा नहीं हैं, बल्कि तीर्थाटन, आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं में इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से चारधाम यात्रा के दौरान हेली सेवाएं हजारों तीर्थयात्रियों को राहत देती हैं, जिनके लिए पैदल यात्रा संभव नहीं होती।

 

इसी तरह प्राकृतिक आपदाओं के समय, जब सड़कें और अन्य मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं, हेलिकॉप्टर राहत और बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए इन सेवाओं को सुरक्षित और मानक आधारित बनाना अत्यंत आवश्यक है।

 

पारदर्शिता और सुरक्षा पर ज़ोर

 

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अब राज्य में हेली सेवाओं के संचालन में पारदर्शिता, मानव जीवन की सुरक्षा, और प्रभावी निगरानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। प्रत्येक ऑपरेटर को तय मानकों का सख्ती से पालन करना होगा और किसी भी लापरवाही की स्थिति में कठोर कार्रवाई की जाएगी।

 

 

उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य में हवाई सेवाओं की सुरक्षा और विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा। हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं के कारण श्रद्धालुओं और नागरिकों में जो भय का माहौल बन गया था, उसे खत्म करने के लिए यह निर्णय अत्यंत आवश्यक था। उम्मीद की जा रही है कि सख्त एसओपी और तकनीकी समीक्षा से हेली सेवाओं में सुधार होगा और भविष्य में इस तरह

की दुखद घटनाओं को रोका जा सकेगा।

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