उत्तराखंड के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। केंद्र सरकार ने राज्य की कृषि और बागवानी से जुड़ी योजनाओं के लिए 3800 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है। यह कदम राज्य की कृषि व्यवस्था को आत्मनिर्भर, टिकाऊ और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तनकारी प्रयास माना जा रहा है।

 

मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री के बीच अहम बैठक

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य की कृषि संबंधी जरूरतों, योजनाओं और किसानों की चुनौतियों को लेकर विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान केंद्र सरकार ने राज्य के लिए 3800 करोड़ रुपये की सहायता को लेकर सैद्धांतिक सहमति जताई, जो राज्य के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है।

 

आत्मनिर्भरता और आधुनिकता की ओर बढ़ता उत्तराखंड

 

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह आर्थिक सहयोग उत्तराखंड को आत्मनिर्भर कृषि राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस योजना में आधुनिक तकनीकों का उपयोग, यंत्रीकरण, नवाचार, पारंपरिक कृषि को सशक्त करना, और जैविक खेती को बढ़ावा देना जैसे अनेक आयाम शामिल हैं।

 

राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई इस योजना में पर्वतीय किसानों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखा गया है, जिससे कृषि कार्य को सुविधाजनक, लाभकारी और सुरक्षित बनाया जा सके।

 

फसलों की सुरक्षा और उत्पादन बढ़ाने पर विशेष ध्यान

 

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति के कारण खेती को कई प्राकृतिक और वन्यजीव संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार ने फसलों की सुरक्षा हेतु 1052.80 करोड़ रुपये की लागत से खेतों की फेंसिंग (घेराबंदी) की योजना बनाई है।

 

किसानों को अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फार्मर्स मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया है। वहीं पोषक और मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए स्टेट मिलेट मिशन के तहत 134.89 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

 

फल उत्पादन और विपणन तंत्र को मिलेगी मजबूती

 

उत्तराखंड में सेब और अन्य फलों के उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए भी बड़ी योजना बनाई गई है। सेब उत्पादन, भंडारण और विपणन को मजबूत बनाने के लिए 1150 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, कीवी और अन्य नकदी फसलों को बढ़ावा देने तथा उन्हें वन्यजीवों से सुरक्षित रखने के लिए 894 करोड़ रुपये की आवश्यकता जताई गई है।

 

कृषि नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा

 

राज्य सरकार का उद्देश्य है कि युवा किसान केवल परंपरागत खेती तक सीमित न रहें, बल्कि नवाचार और स्टार्टअप के जरिए आधुनिक कृषि का हिस्सा बनें। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि नवाचार और स्टार्टअप्स के लिए 885.10 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित किया गया है। साथ ही, ड्रैगन फ्रूट जैसी कम जोखिम वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए 42 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है।

 

जैविक खेती और डिजिटल भूमि अभिलेख

 

राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विश्लेषण प्रयोगशालाओं की स्थापना हेतु 36.50 करोड़ रुपये की जरूरत बताई गई है। साथ ही भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और डिजिटल सर्वे के लिए 378 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है, जिससे जमीन से जुड़ी जानकारियों को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा सके।

 

भविष्य के लिए योजनाएं और नए आयाम

 

भविष्य को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कई और योजनाएं प्रस्तावित की हैं। इनमें सेब उत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाली नर्सरी, कोल्ड स्टोरेज, सॉर्टिंग और ग्रेडिंग यूनिट की स्थापना शामिल है। इसके अलावा, कीवी और ड्रैगन फ्रूट मिशन को विस्तार देने, सुपर फूड्स के लिए उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में एग्रो टूरिज्म स्कूल खोलने का प्रस्ताव भी रखा गया है।

 

किसानों के लिए बढ़ेंगे अवसर

 

इन योजनाओं से न केवल राज्य के किसान आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि कृषि क्षेत्र में रोजगार और नवाचार के नए द्वार भी खुलेंगे। सरकार का प्रयास है कि उत्तराखंड के कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में भी कृषि को लाभकारी, आधुनिक और टिकाऊ बनाया जाए।

 

निष्कर्ष

 

केंद्र सरकार से मिली इस वित्तीय सहायता से उत्तराखंड की कृषि और बागवानी को एक नई दिशा मिलेगी। जहां एक ओर राज्य के किसानों को आर्थिक संबल मिलेगा, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्राप्त होगी। यह कदम ‘आत्मनिर्भर किसान, आत्मनिर्भर उत्तराखंड’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत पहल है।

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