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अल्मोड़ा जिले के रानीखेत क्षेत्र में जिपलाइन निर्माण कार्य के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया। सैन्य क्षेत्र में जिपलाइन की पुली जोड़ने के लिए टावर पर चढ़ा एक युवक अचानक नीचे गिर पड़ा। करीब 50 फुट की ऊंचाई से गिरने के कारण उसे गंभीर चोटें आईं और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया, वहीं पूरे गांव में शोक और आक्रोश का माहौल बन गया।
मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि युवक को पेड़ काटने के काम के बहाने बुलाया गया था, लेकिन बिना किसी प्रशिक्षण के उसे जिपलाइन के खतरनाक कार्य में लगा दिया गया। अप्रशिक्षित होने के बावजूद उसे टावर पर चढ़ाया गया, जो हादसे का मुख्य कारण बना। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीण बड़ी संख्या में कोतवाली पहुंच गए और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
बताया जा रहा है कि जयपुर (राजस्थान) की एक कार्यदायी संस्था द्योलीखेत स्थित सैन्य क्षेत्र में जिपलाइन का निर्माण कार्य करा रही है। इस कार्य में स्थानीय लोगों को भी लगाया गया था। ऐराड़ी गांव (ताड़ीखेत ब्लॉक) निवासी 45 वर्षीय दीपक सिंह रौतेला पुत्र शिव सिंह यहां ब्रांज फैक्ट्री में कार्यरत था। मृतक की पत्नी मंजू रौतेला और भाई विनोद रौतेला के अनुसार, बीती शाम दीपक को पेड़ कटान के काम की बात कहकर बुलाया गया था। शाम करीब छह बजे उसे जिपलाइन का तार कसने के लिए टावर पर चढ़ा दिया गया। इसी दौरान तार ढीला होने से वह असंतुलित होकर नीचे गिर गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
गांव में शोक के साथ आक्रोश, मुआवजे की मांग पर अड़े ग्रामीण
हादसे की खबर फैलते ही गांव में मातम पसर गया। रविवार को ग्रामीणों ने कोतवाली पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया और अप्रशिक्षित व्यक्ति से जोखिम भरा कार्य कराने का आरोप लगाते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक मृतक के परिवार को उचित मुआवजा नहीं दिया जाता, वे पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सैन्य अधिकारी भी कोतवाली पहुंचे और पीड़ित परिवार को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। कोतवाल अशोक धनकड़ ने स्थिति को संभालते हुए दोनों पक्षों से बातचीत की और मानवता के आधार पर आर्थिक सहायता देने का सुझाव रखा। काफी देर तक चली गहमागहमी के बाद सहमति बनी, जिसके बाद नागरिक चिकित्सालय में पंचनामा और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू हो सकी।
मिलनसार स्वभाव ही बन गया जान का खतरा
ग्रामीणों के अनुसार दीपक मिलनसार और सामाजिक व्यक्ति था। वह किसी भी काम के लिए मना नहीं करता था। स्थानीय लोगों को काम दिलाने के उद्देश्य से उसे द्योलीखेत बुलाया गया था। जिपलाइन से जुड़े तकनीकी और जोखिम भरे कार्यों का अनुभव न होने के बावजूद उसने हामी भर दी, जो उसकी जिंदगी पर भारी पड़ गई।
इस पूरे मामले में अभी तक पीड़ित पक्ष की ओर से कोई तहरीर नहीं दी गई है। कोतवाल अशोक धनकड़ ने बताया कि प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवार को हरसंभव सहायता और मुआवजे को लेकर सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस घटना की जांच कर रही है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है।

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