अल्मोड़ा ज़िले में पंचायत चुनाव तो संपन्न हो गए हैं, लेकिन ज़्यादातर ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की शुरुआत नहीं हो पा रही है। वजह है – ग्राम पंचायतों के वार्ड सदस्य (कैबिनेट) अभी पूरे नहीं चुने गए हैं।
914 प्रधानों का शपथ ग्रहण अटका
जिले में 914 निर्वाचित प्रधान हैं, लेकिन जब तक उनकी पंचायतों के सभी सदस्य नहीं चुन लिए जाते, तब तक वे शपथ नहीं ले सकते।
ग्राम पंचायत की स्थिति
जिले में कुल 8242 ग्राम पंचायत सदस्य पद हैं, लेकिन सिर्फ 2202 पर ही उम्मीदवार मैदान में उतरे। इनमें से 1962 निर्विरोध चुन लिए गए, जबकि बाकी 40 पदों पर दोबारा मतदान होगा।
कैबिनेट अधूरी, काम ठप
पंचायतों में निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ प्रधान को नहीं, बल्कि पूरी कैबिनेट को होता है। अधिकतर पंचायतों में 7 से 9 वार्ड होते हैं, लेकिन भागीदारी कम होने से कई सीटें खाली रह गईं।
राज्य निर्वाचन आयोग करेगा दोबारा चुनाव
अब आयोग को तीन महीने में अधिसूचना जारी करनी होगी। फिर बचे हुए पदों के लिए चुनाव होंगे, जिससे पूरी प्रक्रिया में लगभग छह महीने का समय लग सकता है।
इसका असर क्या होगा?
विकास योजनाएं अटकेंगी
आपदा प्रबंधन में देरी
मूलभूत सुविधाओं का काम रुकेगा
प्रधान के पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं होगी
ग्राम पंचायत सदस्य की मुख्य भूमिकाएं:
पंचायत बैठकों में भाग लेना
प्रस्तावों को मंजूरी देना
विकास कार्यों की निगरानी
गांव की समस्याएं ऊपर तक पहुंचाना
प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना (यदि ज़रूरत हो)
ब्लॉकवार स्थिति – कितने प्रधान ही ले पाएंगे शपथ:
ब्लॉक कुल पद शपथ लेने वाले प्रधान
भैसियाछाना 53 9
ताकुला 89 19
हवालबाग 126 32
भिकियासैंण 99 28
ताड़ीखेत 130 18
चौखुटिया 95 19
स्याल्दे 95 12
द्वाराहाट 122 12
सल्ट 138 38
लमगड़ा 103 16
धौलादेवी 110 43
निष्कर्ष:
जब तक सभी ग्राम पंचायत सदस्य नहीं चुन लिए जाते, तब तक गांवों में विकास योजनाओं की रफ्तार थमी रहेगी। प्रधान निर्वाचित होने के बावजूद अधिकार विहीन हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव की प्रक्रि
या को शुरू होने में अभी कुछ महीनों का इंतज़ार करना होगा।