उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। भिकियासैंण तहसील के एक गांव में एक बेटे ने मामूली विवाद के चलते अपनी वृद्ध मां की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। हत्या के बाद शव लगभग 24 घंटे तक घर में ही पड़ा रहा। इस बीच परिवार अंत्येष्टि की गुपचुप तैयारी कर रहा था, लेकिन सूचना मिलने पर समय रहते राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई और कार्रवाई की।
घटना भिकियासैंण क्षेत्र के नैलवालपाली गांव के कनगढ़ी तोक की है। यहां 71 वर्षीय गाऊली देवी, जो कि मूसी राम की पत्नी थीं, बुधवार की सुबह अपने बड़े बेटे आनंद राम के पास गई थीं। बताया जा रहा है कि आनंद राम अलग घर में रह रहा था और मां उसे कुछ सामान देने गई थीं। इस दौरान किसी बात को लेकर मां-बेटे के बीच कहासुनी हो गई। कहासुनी इतनी बढ़ गई कि आनंद राम ने आपा खो दिया और पास में रखी कुल्हाड़ी उठाकर अपनी ही मां पर हमला कर दिया।
कुल्हाड़ी से सिर पर किए गए घातक वार के चलते गाऊली देवी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस हत्या के बाद आनंद राम ने न तो किसी को जानकारी दी और न ही पुलिस को सूचित किया। शव घर में ही पड़ा रहा और गुरुवार की सुबह तक किसी को भी घटना की भनक नहीं लग पाई।
गुरुवार सुबह करीब 11 बजे किसी मुखबिर ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। सूचना मिलते ही कानूनगो हरिकिशन और राजस्व उपनिरीक्षक महेश प्रसाद अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उस समय परिजन शव की चुपचाप अंत्येष्टि करने की तैयारी कर रहे थे। टीम ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्काल शव को अपने कब्जे में लिया।
शव को कब्जे में लेने के बाद पंचनामा भरा गया और पोस्टमार्टम के लिए रानीखेत भेज दिया गया। साथ ही आरोपी आनंद राम को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया गया। उसके पास से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली गई है।
इस मामले में मृतका के छोटे बेटे ने थाने में तहरीर दी, जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है। पुलिस अब पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है कि आखिर मां-बेटे के बीच ऐसा कौन सा विवाद था जो हत्या तक पहुंच गया।
गांव में इस घटना से लोग स्तब्ध हैं। कोई भी यह मानने को तैयार नहीं कि एक बेटा अपनी ही मां की जान ले सकता है। बताया जा रहा है कि आनंद राम मानसिक रूप से तनाव में रहता था, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस इस पहलू की भी जांच कर रही है।
यह घटना न सिर्फ मानवता को झकझोर देने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पारिवारिक तनाव किस हद तक बढ़ सकता है। समाज को इस दिशा में सजग रहने और समय रहते ऐसे तनावों को सुलझाने की आवश्यकता है, जिससे इस तरह की हृदयविदारक घटनाओं
से बचा जा सके।