काशीपुर (उधम सिंह नगर, उत्तराखंड): प्रदेशभर में अवैध कब्जों के खिलाफ चल रहे सरकार के विशेष अभियान के तहत गुरुवार सुबह काशीपुर के कुंडेश्वरी क्षेत्र में बड़ी कार्रवाई की गई। प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बनीं पांच मजारों को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई काशीपुर के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में शांतिपूर्ण ढंग से पूरी की गई।
इन सभी धार्मिक ढाँचों का निर्माण बिना किसी वैध अनुमति के किया गया था और ये संरचनाएं सरकारी सीलिंग भूमि पर स्थित थीं। प्रशासन को लंबे समय से इस जमीन पर अवैध कब्जे की जानकारी मिल रही थी। जांच के बाद जब यह स्पष्ट हो गया कि निर्माण अवैध है, तो संबंधित पक्षों को नोटिस देकर दस्तावेज पेश करने का अवसर दिया गया। लेकिन निर्धारित समयसीमा के भीतर कोई वैध दस्तावेज नहीं सौंपा गया, जिसके बाद प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई करते हुए इन मजारों को हटा दिया।
सिर्फ कब्जे की नीयत से बने थे ढांचे
कार्यवाही के दौरान जो सबसे उल्लेखनीय बात सामने आई, वह यह थी कि ढांचों के हटने के बाद वहाँ से किसी प्रकार की धार्मिक वस्तु, अवशेष या ऐतिहासिक पहचान से जुड़ा कोई चिन्ह नहीं मिला। इससे स्पष्ट हो गया कि ये मजारें केवल सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जमाने के उद्देश्य से बनाई गई थीं, न कि किसी पुरातन धार्मिक आस्था के तहत।
एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि यह ज़मीन राज्य सरकार के रिकॉर्ड में पहले से ही सीलिंग एक्ट के अंतर्गत दर्ज है। इसका अर्थ है कि इस पर किसी भी प्रकार का निजी, व्यावसायिक या धार्मिक निर्माण प्रतिबंधित है। बावजूद इसके, कई वर्षों से कुछ लोगों ने यहां धार्मिक संरचनाएं खड़ी कर ली थीं, जो अब पूरी तरह हटाई जा चुकी हैं।
कार्रवाई में नहीं हुआ कोई विरोध, शांति रही कायम
प्रशासन ने इस पूरी कार्रवाई को बिना किसी टकराव के अंजाम दिया। स्थानीय पुलिस बल की पर्याप्त तैनाती के चलते किसी प्रकार की कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न नहीं हुई। अधिकारियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि इस कार्रवाई से किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत न हों और सौहार्द बना रहे। स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन के इस कदम का समर्थन किया, क्योंकि यह क्षेत्र लंबे समय से अतिक्रमण के कारण उपेक्षित हो गया था।
मुख्यमंत्री धामी की सख्त नीति का असर
उत्तराखंड सरकार, खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की जमीन पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खासकर जब कब्जे को धार्मिक चादरों और प्रतीकों के माध्यम से वैधता देने की कोशिश की जाती है। यही कारण है कि पूरे प्रदेश में अवैध धार्मिक ढांचों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, अब तक उत्तराखंड में 537 अवैध मजारों को हटाया जा चुका है। कुंडेश्वरी क्षेत्र की कार्रवाई उसी अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सरकारी जमीन को पुनः जनता के हित में उपयोग लायक बनाना है।
जनता को मिल रही राहत, अवैध निर्माण पर लगाम
इन अवैध ढांचों की वजह से स्थानीय लोगों को लंबे समय से कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था। अब प्रशासन की इस कार्रवाई से उन्हें राहत मिली है और यह संदेश भी गया है कि अब कोई भी व्यक्ति सरकारी ज़मीन पर कब्जा कर उसे धार्मिक रंग देकर वैध नहीं बना सकता। यह कार्रवाई अवैध कब्जेदारों के लिए चेतावनी भी है कि अब शासन और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
भविष्य में भी जारी रहेगा अभियान
प्रशासन का कहना है कि भविष्य में भी प्रदेशभर में इस प्रकार के अवैध कब्जों पर सख्ती से कार्रवाई जारी रहेगी। केवल मजारें ही नहीं, बल्कि मदरसों, दुकानों और अन्य अवैध निर्माणों को भी चिन्हित किया जा रहा है। खासकर उन मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जहाँ धार्मिक आड़ में अवैध रूप से जमीन पर कब्जा किया गया है।
यह कदम राज्य में कानून और व्यवस्था की मजबूती का संकेत है। आम नागरिकों में भी यह भरोसा जगा है कि अब नियमों और कायदे-कानून के तहत काम होगा। प्रशासनिक अमले को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी ज़मीन पर किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि को समय रहते रोका जाए।
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निष्कर्ष:
काशीपुर में हुई यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक सतर्कता का उदाहरण है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अब उत्तराखंड में अवैध कब्जों के खिलाफ “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति लागू हो चुकी है। सरकार का यह अभियान न सिर्फ सरकारी भूमि की रक्षा कर रहा है, बल्कि आम जनता को यह भरोसा भी दे रहा है कि कानून का राज ही सर्वोपरि है।