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दून मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में इन दिनों हरपीज जास्टर ऑप्थैल्मिकस के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। यह शिंगल्स का गंभीर प्रकार है, जो आंख की नसों को प्रभावित करता है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय रहते इलाज न हो, तो मरीज की नजर पर स्थायी असर पड़ सकता है।

 

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील ओझा बताते हैं कि इस बीमारी की शुरुआत माथे, पलकों और नाक के ऊपरी हिस्से पर दर्दनाक फफोलों से होती है। धीरे-धीरे यह संक्रमण आंख तक पहुंचकर लालिमा, सूजन, घाव और धुंधला दिखना जैसी दिक्कतें पैदा करता है। खासतौर पर नाक की नोक पर दाने दिखाई देना, कार्निया में संक्रमण का संकेत माना जाता है।

 

लक्षण

 

माथे व पलकों पर दर्दयुक्त फफोले

 

आंखों में जलन और लालिमा

 

धुंधलापन या धुंधला दिखना

 

कार्निया में सूजन और घाव

 

गंभीर हालात में दृष्टि कम होना

 

 

बचाव और उपचार

 

डॉ. ओझा के अनुसार, शुरुआती अवस्था में एंटीवायरल दवाओं का उपयोग असरदार रहता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि बारिश के मौसम में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, आंखों को बार-बार हाथ से न छुएं और तौलिया या रुमाल साझा करने से बचें। इसके अलावा, शिंगल्स का टीका लगवाना भी सुरक्षात्मक उपाय है।

 

मानसून में आंखों का ध्यान रखें

 

बरसात के मौसम में आंखों के कई संक्रमण जैसे कंजक्टिवाइटिस, आई स्टाई, ड्राई आइज और कार्नियल अल्सर ज्यादा देखे जाते हैं। ऐसे में आंखों की सुरक्षा बेहद जरूरी है।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि केवल हाथ धोकर ही आंखों को छुएं और जरूरत पड़ने पर लुब्रिकेंट ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें। छोटी-छोटी सावधानियां आपकी आंखों को बड़ी

परेशानी से बचा सकती हैं।

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