उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा एक बार फिर श्रद्धालुओं के उत्साह और आस्था की मिसाल बनकर सामने आई है। इस वर्ष की यात्रा के लिए पंजीकरण का आंकड़ा 31 लाख को पार कर गया है, जो अब तक का एक नया रिकॉर्ड है। इस पवित्र यात्रा में सम्मिलित होने की श्रद्धालुओं की तीव्र इच्छा इस बात से स्पष्ट होती है कि केवल एक ही दिन – 22 मई को – 27 हजार से अधिक लोगों ने ऑफलाइन पंजीकरण कराया।
चारधाम यात्रा, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम शामिल हैं, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह उत्तराखंड राज्य के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ऑनलाइन स्लॉट फुल, ऑफलाइन पंजीकरण में तेजी
उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा 20 मार्च 2025 से चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई थी। श्रद्धालुओं का जबरदस्त उत्साह इस बात से झलकता है कि मई और जून के लिए सभी ऑनलाइन स्लॉट बहुत ही कम समय में भर गए। इससे उन श्रद्धालुओं को परेशानी हुई जो ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाए थे।
इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए 28 अप्रैल से ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा शुरू की। हरिद्वार, ऋषिकेश, हरबर्टपुर और नया गांव विकासनगर जैसे स्थानों पर पंजीकरण केंद्र स्थापित किए गए। इन केंद्रों पर भारी भीड़ देखी जा रही है और अब तक हजारों श्रद्धालु ऑफलाइन माध्यम से पंजीकरण कर चुके हैं।
क्यों जरूरी है पंजीकरण?
उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है। इस प्रक्रिया से न केवल तीर्थयात्रियों की संख्या पर नियंत्रण रखा जा सकता है, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में यात्रियों की पहचान और सहायता भी संभव हो पाती है।
इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन से स्वास्थ्य सेवाएं, ट्रैफिक व्यवस्था और यात्रा मार्गों की निगरानी भी सुचारू ढंग से की जा सकती है। साथ ही, सरकार को यह जानकारी भी मिलती रहती है कि किस धाम में कितने श्रद्धालु पहुंचे हैं, जिससे यात्रा प्रबंधन आसान हो जाता है।
यात्रियों की बढ़ती संख्या: एक सकारात्मक संकेत
चारधाम यात्रा में इस प्रकार की रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं का आना दर्शाता है कि देशभर के लोग धर्म, संस्कृति और प्रकृति के इस संगम को कितनी गंभीरता से लेते हैं। खासकर कोविड-19 के बाद यह पहली बार है जब यात्रा में इतनी बड़ी संख्या में लोग भाग ले रहे हैं। इससे उत्तराखंड के स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों, गाइड्स और अन्य सेवाओं से जुड़े लोगों को भी लाभ हो रहा है।
प्रशासन की तैयारी और जिम्मेदारी
बढ़ती भीड़ को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार और प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं के लिए विशेष तैयारियां की हैं। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, NDRF और अन्य एजेंसियों को यात्रा मार्गों पर तैनात किया गया है। स्वास्थ्य शिविर, मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ और आपातकालीन सेवाएं भी यात्रा मार्गों पर सक्रिय हैं।
वहीं, पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी प्रशासन सजग है। प्लास्टिक का उपयोग कम करने, कूड़े के निस्तारण और जलस्रोतों की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता बनी रहे।
श्रद्धालुओं से अपील
प्रशासन और पर्यटन विभाग की ओर से श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराएं और दिए गए निर्देशों का पालन करें। इसके अलावा, पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं और यात्रा मार्गों पर स्वच्छता बनाए रखें।
निष्कर्ष
चारधाम यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि यह आत्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव की प्रतीक है। इस वर्ष की यात्रा में पंजीकरण की रिकॉर्ड संख्या यह दिखाती है कि आस्था और श्रद्धा में कोई कमी नहीं है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस विश्वास को कायम रखते हुए यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा का पूरा ख्याल रखे, और श्रद्धालुओं का दायित्व है कि वे नियमों का पालन करें और यात्रा को सफल बनाएं।